कांग्रेस पार्टी ने बहुत साफ संदेश दिया है। पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ही चुनाव में पार्टी का चेहरा हैं और अगर फिर कांग्रेस की सरकार बनती है तो वे ही मुख्यमंत्री बनेंगे। इसके बावजूद सिद्धू समझ नहीं रहे हैं या नहीं समझने का नाटक कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार सुनील जाखड़ इस बात को समझ गए हैं तभी उन्होंने अबोहर सीट से इस बार चुनाव नहीं लड़ा। उनके कहने पर उनके भतीजे संदीप जाखड़ को उस सीट से टिकट दी गई है। उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनको पता है कि वे मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं। Opposition pressure for Parrikar
अकेले सिद्धू हैं, जो जिद किए हुए हैं। उन्होंने सुनील जाखड़ और सुखजिंदर रंधावा के साथ मिल कर पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाया, जिसके बाद पार्टी ने चन्नी के नाम का ऐलान नहीं किया। वैसे भी कांग्रेस कभी भी मुख्यमंत्री का दावेदार घोषित करके चुनाव नहीं लड़ती है। यह भारतीय जनता पार्टी और दूसरी प्रादेशिक पार्टियों की परंपरा रही है। तभी पिछले दिनों एक टेलीविजन चैनल के कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस की ओर से दो चेहरे होते हैं एक जो मुख्यमंत्री है उसका और दूसरा प्रदेश अध्यक्ष का। इस लिहाज से पंजाब में दो चेहरे हैं चन्नी और सिद्धू।
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लेकिन अब कांग्रेस ने एक वीडियो के जरिए सिद्धू को बाहर कर दिया है। कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से जारी इस वीडियो में फिल्म अभिनेता सोनू सूद लोगों से कह रहे हैं कि ऐसा आदमी मुख्यमंत्री नहीं हो सकता है, जो खुद ही रोज कहे कि मुझे मुख्यमंत्री बनाओ। उसकी बजाय ऐसे आदमी को मुख्यमंत्री बनाया जाए जो बैकबेंचर हो, जो पीछे हो उसे लाकर सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया जाए तो अच्छा होता है। इस पूरी वीडियो में अकेले चरणजीत सिंह चन्नी को दिखाया जा रहा है। वे बैकबेंचर भी रहे हैं और अचानक उनको पीछे से लाकर सीएम की कुर्सी पर बैठाया गया है। इसलिए संदेश साफ है।
पर सिद्धू इतने स्पष्ट संदेश को नहीं समझ रहे हैं। वे किसी तरह से इसे रूकवाने की कोशिश कर रहे हैं। वे यह भी नहीं समझ रहे हैं कि पार्टी आलाकमान वोट के गणित के हिसाब से आगे बढ़ रहा है और उसमें सिद्धू की महत्वाकांक्षा का कोई मतलब नहीं है। पंजाब में कांग्रेस की एकमात्र उम्मीद चन्नी हैं। दूसरे, कांग्रेस नेता इस बात को समझ रहे हैं कि अगर एक बार वहां आम आदमी पार्टी के पांव जम गए तो फिर दिल्ली की तरह पंजाब से भी कांग्रेस साफ होगी। इसलिए भी कांग्रेस सिद्धू या दूसरे किसी जाट या जाट सिख नेता के दबाव में नहीं आ रही है। सिद्धू इस बात को जितन जल्दी समझेंगे आगे के लिए उतना ही अच्छा होगा।
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