देश के पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री रहे दिवगंत मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर का मामला भारतीय जनता पार्टी के लिए गले की हड्डी बन गया है। विपक्ष ने इसे इतना बड़ा मुद्दा बना दिया है कि भाजपा के लिए इसकी अनदेखी मुश्किल हो गई है। जब मनोहर पर्रिकर का निधन हुआ था तब तो पार्टी ने उत्पल को टिकट नहीं दी थी, तब यह ज्यादा मुद्दा नहीं बना था। लेकिन अब उत्पल अपने पिता की पारंपरिक पणजी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन भाजपा इस सीट से बाबुश मोन्सेरेट को टिकट दे रही है। भाजपा के उम्मीदवार के बारे में उत्पल और उनके करीबियों ने प्रचार किया है कि वे बलात्कार के मामले में आरोपी हैं। सोचें, अगर भाजपा उम्मीदवार के बारे में उत्पल पर्रिकर यह प्रचार करते हैं कि वह बलात्कार का आरोपी है तो उस सीट के साथ साथ पूरे राज्य में कितना बड़ा असर होगा। Opposition pressure for Parrikar
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तभी भारतीय जनता पार्टी किसी तरह से उत्पल को समझाने में लगी है। पार्टी के बड़े नेताओं ने उनसे बात की है और किसी अच्छी जगह एडजस्ट करने की बात हुई है। यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी ने पणजी के अलावा किसी दूसरी सीट से उनको चुनाव लड़ने का प्रस्ताव भी दिया है। लेकिन वे तैयार नहीं हो रहे हैं। गोवा की सीटों को लेकर बुधवार यानी 19 जनवरी को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी। उससे पहले विपक्षी पार्टियों ने जबरदस्त दबाव बनाया है। आम आदमी पार्टी ने सीधे उत्पल को अपनी पार्टी से सीट ऑफर की तो दूसरी ओर शिव सेना ने सभी विपक्षी पार्टियों से कहा है कि वे पर्रिकर के बेटे को साझा उम्मीदवार बनाएं। अगर बुधवार को भाजपा उनको टिकट नहीं देती है तो विपक्ष इस मौके को लपकेगा और उन्हें साझा उम्मीदवार बनाया जाएगा। यह स्थिति भाजपा के लिए बहुत मुश्किल वाली होगी।
पर्रिकर के लिए विपक्ष का दबाव
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