अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि बिहार में विपक्षी पार्टियों की जो बैठक होगी, उसमें हरियाणा की इंडियन नेशनल लोकदल हिस्सा लेगी या नहीं। लेकिन उससे पहले हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। हरियाणा कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि किसी हाल में ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो को विपक्षी गठबंधन में नहीं लेना चाहिए। उनका कहना है कि दुष्यंत चौटाला के अलग पार्टी बनाने के बाद से इनेलो का वजूद खत्म हो गया है। इसका कोई वोट आधार नहीं है। सिरसा की एकाध विधानसभा सीटों को छोड़ कर पार्टी अब कहीं भी प्रासंगिक नहीं है। अगर इस पार्टी को गठबंधन में लिया जाता है तो उसे जीवनदान मिलेगा, जिसका नुकसान कांग्रेस को और खास कर भूपेंदर सिंह हुड्डा को होगा।
ध्यान रहे हरियाणा कांग्रेस की कमान हुड्डा परिवार को मिली हुई है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंदर हुड्डा बहुत मेहनत भी कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि इस बार प्रदेश का जाट पूरी तरह से एकजुट होकर उनके साथ है। ऐसे में किसी दूसरी जाट वोट आधार वाली पार्टी तो साथ लेने का कोई मतलब नहीं है। दूसरी ओर चौटाला परिवार किसी न किसी तरह से नीतीश कुमार के संपर्क में हैं। जब ओमप्रकाश चौटाला जेल से छूटे थे तब नीतीश उनसे मिलने गए थे। दोनों के बीच की कड़ी केसी त्यागी हैं, जिनको पिछले दिनों पार्टी का विशेष सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता बनाया गया। हरियाणा कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि केसी त्यागी और नीतीश कुमार इनेलो को गठबंधन में लाने का प्रयास न करें। अगर इनेलो को गठबंधन में लाया जाता है तो उनके लिए सीट भी छोड़नी होगी और जीतने के बाद वे क्या करेंगे, यह कोई नहीं कह सकता है। सो, एक तो मरी हुई पार्टी को जीवनदान मिलेगा और दूसरे उसके भाजपा के साथ जाने की संभावना भी रहेगी।