पिछले साल की सर्दियों तक जब तक पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं बनी थी और दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ता था, हवा की गुणवत्ता खराब होती थी तो अरविंद केजरीवाल इसके कई तरह के समाधान बताते थे। उन्होंने और उनकी पार्टी के नेताओं ने कई बार बताया कि कैसे पराली को बिना जलाए बायो केमिकल से समाप्त किया जा सकता है और कैसे दिल्ली की वायु गुणवत्ता को खराब होने से रोका जा सकता है। वे यह भी बताते थे कि किसानों को मदद देकर कैसे उनको पराली जलाने से रोका जा सकता है। लेकिन अब दिल्ली और पंजाब दोनों जगह आप की सरकार है और किसानों का पराली जलाना बढ़ गया है। पता नहीं केजरीवाल के सारे समाधान कहां चले गए?
यह आधिकारिक आंकड़ा है कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल के मुकाबले 33 फीसदी बढ़ गई हैं। पिछले साल अक्टूबर में पराली जलाने की 7,648 घटनाएं हुई थीं और इस साल अक्टूबर समाप्त होने से दो दिन पहले ही 10,214 घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह भी आंकड़ा है कि इनमें से 69 फीसदी यानी करीब 71 सौ घटनाएं सिर्फ एक हफ्ते में दर्ज हुई हैं। इसके बरक्स एक दिलचस्प आंकड़ा यह है कि हरियाणा में जहां भाजपा की सरकार है वहां पराली जलाए जाने की घटनाएं कम हो गई हैं। एक तरफ जहां पंजाब में 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है वहीं हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 26 फीसदी की कमी आई है। यह आंकड़ा 15 सितंबर से 26 अक्टूबर के बीच का है। हो सकता है कि अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में इसमें कुछ बढ़ोतरी हो लेकिन हकीकत यह है कि आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर पाई है। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता यानी एक्यूआई चार सौ से ऊपर होकर गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है लेकिन केजरीवाल सरकार पंजाब को कुछ नहीं कह रही है, बल्कि उलटे सीधे आंकड़ों से इस खतरे को कमतर दिखाने की कोशिश हो रही है।