अगर मामला कांग्रेस या कांग्रेस समर्थित सरकार वाले किसी राज्य का है तो बहुत संभावना है कि अगर मामला अदालत में पहुंचे तो आरोपी को राहत मिलेगी। यह हो सकता है कि संयोग हो लेकिन एक, दो नहीं अनेक मामलों में यह संयोग हुआ है। मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह पर कई किस्म के आरोप हैं। भ्रष्टाचार, रंगदारी वसूलने सहित कई आरोप हैं। वे आरोपों की गंभीरता को समझ रहे थे तभी कई महीनों तक लापता रहे थे, जिसे लेकर सर्वोच्च अदालत ने भी तीखी टिप्पणी की थी। लेकिन वे गिरफ्तार नहीं हुए। उनको अदालत से राहत मिली हुई है और पुलिस चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही है। महाराष्ट्र के ही दो और मामले हैं। भाजपा विधायक नीतेश राणे और अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ कई आरोप हैं लेकिन इन दोनों को भी गिरफ्तारी से राहत मिली हुई है। Parambir Majithia Rane Ranaut
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पंजाब में तो बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ अनेक गंभीर आरोप हैं। नशे की तस्करी कराने और तस्करों को शरण देने जैसे गंभीर आरोप हैं तभी हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उनको भी राहत मिली हुई है। इनके मुकाबले देश भर से गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ताओं का मामला देखें तो हैरानी होती है। बुजुर्ग और बेहद बूढ़े हो चुके सामाजिक कार्यकर्ता जेल में बंद हैं। उन्हें नजर का चश्मा हासिल करने के लिए संघर्ष करना होता है और पर्किंसन के शिकार फादर स्टेन स्वामी पानी पीने के लिए सीपर की मांग करते हुए भगवान को प्यारे हो गए। देश का सिस्टम तो जैसा है वैसा है ही लेकिन अदालतों को तो इसका ध्यान रखना चाहिए।