पता नहीं ऐसा जान बूझकर किया जाता है या अनजाने में हो जाता है कि संसद के हर सत्र से पहले कोई न कोई ऐसी घटना होती है या खबर आती है, जिससे पूरा सत्र हंगामे में बीत जाता है। विपक्षी पार्टियों के सांसद हंगामा करते हैं और सरकार चुपचाप बिना किसी बहस के विधायी कामकाज निपटा लेती है। संसद का बजट सत्र शुरू होने से ठीक पहले अदानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आई थी। उस पर सत्र का पहला हिस्सा जाया हुआ। उससे पहले चीन को लेकर शीतकालीन सत्र हंगामे में गुजरा था। अब संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा शुरू होने वाला है और कई ऐसे मुद्दे आ गए हैं, जिन पर हंगामा होगा और कार्रवाई ठीक से नहीं चल पाएगी।
आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को सीबीआई और ईडी दोनों ने गिरफ्तार कर लिया है। आप ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया है और निश्चित रूप से संसद में उसका यह सबसे बड़ा मुद्दा होगा। राज्यसभा में उसके 10 सांसद हैं, जो कार्रवाई ठप्प कराने में सक्षम हैं। सिसोदिया को शराब के जिस मामले में गिरफ्तार किया गया है उसी मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता से भी पूछताछ हो रही है। अगर वे गिरफ्तार होती हैं तो दोनों सदनों में भारत राष्ट्र समिति के सांसदों का हंगामा चलेगा। लालू प्रसाद के बेटे और तीन बेटियों के खिलाफ छापेमारी से राजद सांसद भड़के हैं और वे राज्यसभा में हंगामा करेंगे। राहुल गांधी को दिया गया विशेषाधिकार नोटिस का मामला उठेगा और भाजपा लंदन में दिए उनके भाषण को मुद्दा बनाएगी। हिंडनबर्ग का मामला अभी तक चल ही रहा है।