
Power sector electricity bill बिजली संशोधन बिल पर विवाद शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसकी शुरुआत की थी और अब महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ शिव सेना भी इसमें शामिल हो गई है। ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख कर कहा है कि इस बिल को रोका जाए और राज्य सरकारों के साथ साथ सभी संबंधित पक्षों से विस्तृत वार्ता करके सहमति बनाई जाए। ममता की इस मांग का समर्थन करते हुए शिव सेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा है कि बिजली संशोधन बिल राज्यों के हितों के खिलाफ है और इसकी मार आम उपभोक्ता पर भी पड़ेगी इसलिए बिल को रोका जाए। दूसरी ओर सरकार इस बिल को संसद के इसी सत्र में पास कराने की तैयारी में है।
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ध्यान रहे यह बिल पिछले साल भी लाया जाने वाला था लेकिन विपक्ष के विरोध की वजह से इसे रोक दिया गया। उसके बाद सरकार के पास पर्याप्त समय था, लेकिन उसने विपक्षी पार्टियों के साथ इस पर विचार-विमर्श नहीं किया। विपक्षी पार्टियां समझती रहीं कि अब यह बिल नहीं आएगा। लेकिन मॉनसून सत्र में सरकार ने फिर इस बिल को सूचीबद्ध कर दिया। विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि बिजली का मामला संविधान की समवर्ती सूची में है इसलिए सभी राज्य सरकारों से इस पर बात होनी चाहिए। अनेक राज्यों के बिजली कर्मचारी भी इसका विरोध कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि यह बिल अगर कानून बना तो बिजली की पूरी व्यवस्था निजी हाथों में जाएगी, राज्यों की बिजली कंपनियों कमजोर होंगी और कर्मचारियों से लेकर आम उपभोक्ता को नुकसान होगा। Power sector electricity bill