where is the oppositions : संसद के मॉनसून सत्र के दो दिन हो गए हैं और ऐसा दिख नहीं रहा है कि विपक्ष के बीच किसी किस्म की साझेदारी है। इजराइल के सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए जासूसी के मसले पर विपक्ष जरूर एकजुट है लेकिन उसके अलावा संसद की कार्यवाही में साथ मिल कर जनता से जुड़े मुद्दे उठाने के मसले पर हर पार्ट का अपना अपना एजेंडा है। पिछले साल तक सरकार के साथ रही अकाली दल का एजेंडा किसान आंदोलन और कृषि कानून हैं। सो, उसकी सांसद हरसिमरत कौर बादल किसानों का मुद्दा उठा रही हैं तो पंजाब की मुख्य विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी भी किसानों का मुद्दा उठा रही है।
ऐसा इसलिए है कि आम आदमी पार्टी को पंजाब में इस बार ज्यादा आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ना है। तभी आप ने कृषि बिल पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है। कायदे से कृषि कानूनों और किसानों का मुद्दा समूचे विपक्ष को साझा तौर पर उठाना चाहिए था। कांग्रेस, लेफ्ट, एनसीपी आदि पार्टियों को एक साथ मिल कर यह मुद्दा उठाना चाहिए था।
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ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को किसानों की बड़ी चिंता थी लेकिन उनकी पार्टी ने किसानों का मुद्दा उठाने की बजाय महंगाई के मुद्दे को तरजीह दी है। उसके सांसदों ने साइकिल से संसद भवन जाने का फैसला किया। महंगाई का भी बड़ा मुद्दा है, जिस पर सभी पार्टियों को एक साथ प्रदर्शन करना चाहिए था। कायदे से तृणमूल कांग्रेस को किसान मुद्दे पर अकाली दल, आप और दूसरी विपक्षी पार्टियों से तालमेल बनाना चाहिए।
where is the oppositions फ्रांस में चल रही जांच के हवाले राफेल का मुद्दा भी समूचे विपक्ष को एक साथ उठाना चाहिए पर ऐसा लग रहा है कि राफेल का मुद्दा अकेले कांग्रेस की जिम्मेदारी हो गई है। बाकी पार्टियां इस मसले पर नहीं बोल रही हैं क्योंकि उनको लग रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन जाएगा। ऐसा लग रहा है कि सारी पार्टियां अपने अपने राज्य के हिसाब से मुद्दे चुन कर उठा रही हैं।