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भाजपा को परोक्ष सहयोगियों का भरोसा

ByNI Political,
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भाजपा को परोक्ष सहयोगियों का भरोसा
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए में अब ज्यादा घटक दल नहीं बचे हैं। ज्यादातर बड़ी पार्टियां एनडीए से अलग हो गई हैं। लेकिन भाजपा के पास अभी कम से कम चार परोक्ष सहयोगी हैं, जो एनडीए का हिस्सा नहीं हैं पर समय आने पर भाजपा की सरकार की मदद करते हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इन्हीं परोक्ष सहयोगियों के दम पर संसद में कई विवादित विधेयकों को पास कराया है। कृषि कानून भी उनमें से एक हैं पर उसमें सहयोगी व परोक्ष सहयोगियों से ज्यादा योगदान आसन पर बैठे उप सभापति का था, जिन्होंने राज्यसभा में विपक्ष की वोटिंग की मांग को दरकिनार करके ध्वनि मत से विधेयक पास कराया। बहरहाल, जहां भाजपा की सहयोगी पार्टियां भी साथ नहीं देती है वहां भी परोक्ष सहयोगी साथ खड़े होते हैं। भाजपा के इन परोक्ष सहयोगियों में ओड़िशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल है तो आंध्र प्रदेश में सरकार चला रही वाईएसआर कांग्रेस भी है और उत्तर प्रदेश की विपक्षी पार्टी बसपा भी है। थोड़े समय पहले तक तेलंगाना राष्ट्र समिति भी भाजपा की परोक्ष सहयोगी थी, लेकिन हैदराबाद नगर निगम चुनाव के बाद उसके तेवर बदल सकते हैं। वहां भाजपा तेजी से अपना आधार बना रही है और एमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी को निशाना बना कर भाजपा ने वहां ध्रुवीकरण की राजनीति का बीज बो दिया है। सो, हो सकता है कि संसद के चालू सत्र में टीआरएस का तेवर अलग दिखे। पर बाकी तीन पार्टियां- वाईएसआर कांग्रेस, बीजद और बसपा सरकार का साथ देंगे। तभी सरकार को भरोसा है कि विपक्ष के हंगामे के बावजूद उसे संसद में विधायी कामकाज कराने में दिक्कत नहीं होगी। वैसे भी राज्यसभा में अब भाजपा के पास 90 के करीब सांसद अपने हो गए हैं। एनडीए के सहयोगियों की संख्या मिल कर एक सौ से ज्यादा सांसद सरकार के हैं। ऊपर से जरूरत पड़ने पर बाकी परोक्ष सहयोगी साथ दे देंगे।
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