
इस बार संसद का शीतकालीन सत्र होने की संभावना कम दिख रही है। जानकार सूत्रों के मुताबिक अब सीधे संसद का बजट सत्र होगा। शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के तीसरे हफ्ते से शुरू होकर दिसंबर के तीसरे हफ्ते तक चलता है। पिछली बार दिसंबर के आखिर तक सत्र चला गया था। इस बार अभी तक कोई हलचल नहीं है और पिछले ही महीने खत्म हुए संसद सत्र के बाद छह महीने तक सत्र बुलाने की कोई संवैधानिक बाध्यता भी नहीं है। पिछला सत्र इसलिए भी बुलाना था क्योंकि आखिरी सत्र में मार्च में हुआ था और छह महीने में सत्र बुलाने की अनिवार्यता थी। दूसरे, सरकार ने बड़ी संख्या में अध्यादेश जारी किए थे, जिनको संसद से मंजूर करा कर कानून का रूप दिलाना था।
सो, सरकार ने सत्र बुलाया और सारे जरूरी विधेयक पास करा लिए। सत्र के दौरान ही बड़ी संख्या में सांसद और संसद के कर्मचारी कोरोना से संक्रमित होने लगे, जिस वजह से तीन हफ्ते का सत्र 10 दिन में खत्म करना पड़ा। पिछला बजट सत्र भी बीच में ही खत्म करना पड़ा था। इसलिए सरकार और संसद के पीठासीन अधिकारी भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। ध्यान रहे अब भी केंद्रीय मंत्रियों के संक्रमित होने का सिलसिला जारी है। बहरहाल, अगले छह महीने तक सत्र बुलाने की बाध्यता नहीं है। वैसे भी बजट सत्र अब 31 जनवरी से ही होने लगा है। सो, तीन महीने में बजट सत्र होना ही है। इसलिए कोरोना के बढ़ते संकट के बीच नवंबर-दिसंबर में सत्र बुलाने की जरूरत नहीं महसूस की जा रही है।