यह हैरान करने वाली बात है कि आईटी संबंधी संसदीय समिति की अध्यक्षता कांग्रेस से ले ली गई है तो कांग्रेस ने बदले में शीर्ष चार मंत्रालयों में से किसी एक समिति की अध्यक्षता मांगी है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिख कर कहा है कि आईटी मंत्रालय की स्थायी समिति की अध्यक्षता कांग्रेस से ले ली गई है तो कांग्रेस को वित्त, विदेश, गृह या रक्षा मंत्रालय में से किसी एक संसदीय समिति की अध्यक्षता दी जाए। सोचें, आईटी को ऐसे ही हलका विभाग मान कर कांग्रेस को उसकी अध्यक्षता दी गई थी और कांग्रेस ने शशि थरूर को उसका अध्यक्ष बनाया था। लेकिन अब सरकार ने वह विभाग कांग्रेस से ले लिया है और उसे केमिकल व फर्टिलाइजर मंत्रालय देने का प्रस्ताव दिया है।
असल में शशि थरूर ने हेट कंटेंट से लेकर दूसरी कई चीजों के मामले में सोशल मीडिया की कंपनियों को नोटिस दिया। उन्हें संसदीय समिति के सामने बुलाया। भाजपा को इससे चिंता हुई और साथ ही इस मंत्रालय की स्थायी समिति के महत्व का अहसास हुआ। तभी इसे कांग्रेस से वापस लेने की पहल हुई। आमतौर पर नई लोकसभा के गठन के समय पार्टियों को उनके सांसदों की संख्या के लिहाज से संसदीय समितियां आवंटित हो जाती हैं और लोकसभा के कार्यकाल तक यथास्थिति रहती है। लेकिन इस बार सरकार ने लोकसभा के बीच में स्थायी समिति में बदलाव का फैसला किया और वह भी आईटी मामलों की समिति में! इस बीच भाजपा के एक सांसद सहित कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके और सीपीआई के पांच सांसदों ने स्पीकर को चिट्ठी लिख कर शशि थरूर को वापस आईटी मामलों की स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाने को कहा है।
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