रियल पालिटिक्स

संसद सत्र से पहले पेगासस

ByNI Political,
Share
संसद सत्र से पहले पेगासस
इजराइली सॉफ्टवेयर पेगासस से जासूसी किए जाने का खुलासा पिछले साल संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले हुआ था। उस खुलासे का नतीजा यह हुआ कि पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्ष पेगासस मामले पर चर्चा और जांच की मांग करता रहा है और सरकार मजे से अपने विधायी कामकाज निपटाती रही। विपक्ष संसद से बाहर और सरकार के संसद के अंदर काम करती रही। इस खुलासे का असर अगले सत्र यानी शीतकालीन सत्र पर भी रहा। हालांकि कम असर रहा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर के महीने में ही इस मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक तकनीकी कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया था। Pegasus before Parliament session इस वजह से नए साल में संसद के बजट सत्र में पेगासस का मुद्दा नहीं था। लेकिन ऐन सत्र से पहले एक नया खुलासा हो गया। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया है कि 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा के दौरान करीब 15 हजार करोड़ रुपए का जो हथियार सौदा हुआ था उसमें पेगासस भी शामिल था। यानी भारत ने 2017 में ही पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा था। अगर यह बात सही है तो बहुत संभावना है कि देश के नागरिकों की जासूसी हुई हो क्योंकि पेगासस के पहले खुलासे में तीन सौ फोन नंबर हैक किए जाने की खबर आई थी। Read also काला-अंधा वर्ष 2040… और वजह? India had bought Pegasus अब सोचें इस नए खुलासे का संसद के बजट सत्र पर क्या असर होगा? इससे विपक्ष को पेगासस पर नया मुद्दा मिल गया है। फिर विपक्ष इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से जवाब देने की मांग करेगा, चर्चा कराना चाहेगा और संयुक्त संसदीय समिति से इसकी जांच कराने की मांग करेगा। जाहिर है कि सरकार इसके लिए तैयार नहीं होगी। सरकार के पास बचाव का एक तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बना दी है तो अब उस कमेटी को जांच करने दिया जाए, दूसरी जांच की कोई जरूरत नहीं है। सबको पता है कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी की जांच कहां तक जाएगी। संसदीय समिति की तरह इस समिति को विशेषाधिकार नहीं होंगे और वह उतने की दस्तावेजों और सरकार के सौदों की जांच कर पाएगी, जितने की जांच कराना सरकार चाहेगी। सो, उसके नतीजों का अंदाजा पहले से ही लगाया जा सकता है। विपक्ष को भी इसका अंदाजा है इसलिए उसका हंगामा जारी रहेगा। सो, कह सकते हैं कि एक और सत्र जाया होने वाला है। मंच सज गया है। दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप होंगे और अंत नतीजा यह निकलेगा कि विपक्षी सांसद संसद भवन परिसर में आंदोलन कर रहे होंगे और सरकार सारे कामकाज आसानी से निपटा रही होगी। बजट भी बिना चर्चा के ही पास हो तो हैरानी नहीं होगी।
Published

और पढ़ें