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आईटी की संसदीय समिति में तमाशा!

ByNI Political,
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आईटी की संसदीय समिति में तमाशा!
Pegasus case parliamentary committee वैसे तो अब किसी भी संसदीय समिति का कोई मतलब नहीं रह गया है लेकिन सूचना व प्रौद्योगिक मंत्रालय की संसदीय समिति में जो तमाशा हुआ है वह हैरान करने वाला है। इसके अध्यक्ष कांग्रेस सांसद शशि थरूर हैं और उन्होंने समिति की बैठक बुलाने के साथ ही कहा था कि पेगासस जासूसी मामले पर इसमें चर्चा होगी। उन्होंने गृह मंत्रालय सहित तीन केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारियों को भी नोटिस भेजा था। लेकिन 31 सदस्यों की इस समिति की बैठक कोरम की कमी से नहीं हो सकी। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि तीनों केंद्रीय मंत्रालयों से कोई अधिकारी कमेटी के सामने नहीं आया। तीनों मंत्रालयों ने कह दिया कि उनके अधिकारी दूसरे काम में बिजी हैं। सोचें, देश की सर्वोच्च पंचायत की संसदीय समिति अधिकारियों को बुलाती है और वे आने से मना कर देते हैं! क्या यह उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर किया या जान बूझकर संसदीय समिति की अवमानना की? Read also उफ! ऐसा इतिहास, कैसे क्या? भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के सांसदों ने अलग तमाशा किया। भाजपा व सहयोगी पार्टियों के 11 सांसद मीटिंग में पहुंचे थे लेकिन उन्होंने उपस्थिति रजिस्टर पर दस्तखत नहीं किया। तभी उनके बैठे रहने के बावजूद कोरम पूरा नहीं हो सका। 31 सदस्यों की इस समिति की बैठक के लिए कम के कम 10 सदस्यों का होना जरूरी है, जबकि सिर्फ नौ सदस्यों ने दस्तखत किए थे। इससे पहले एक तमाशा यह हुआ था कि समिति के सभी सदस्यों को फोन आ गया था कि वे श्रम मंत्री से मिलें। जब इस पर विवाद हुआ तो कहा गया कि गलती से फोन चला गया था। इसके बावजूद सीपीएम के एक सांसद श्रम मंत्री के यहां पहुंच गया तो कहा गया कि सिर्फ भाजपा के सांसदों को बुलाया गया था। सवाल है कि सरकार पेगासस से जासूसी के मामले में क्या रहस्य छिपाना चाह रही है, जो न संसद में चर्चा हो रही है और न संसदीय समिति में?
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