इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए तीन सौ लोगों की फोन की टेपिंग जासूसी का जो खुलासा हुआ है उसमें सबसे खास और ध्यान खींचने वाला नाम सुप्रीम कोर्ट की इस महिला कर्मचारी का है, जिसने तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के ऊपर यौन शोषण का आरोप लगाया था। पत्रकारों के फोन टेप होते हैं, नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है, अधिकारियों की जासूसी होती है, इनमें कोई नई बात नहीं है। यह सबको पता है। लेकिन एक साधारण महिला और उसके पति, देवर सहित तमाम रिश्तेदारों के 11 फोन नंबर की हैकिंग और जासूसी साधारण बात नहीं है।
असल में उस महिला का आरोप लगाना, चीफ जस्टिस का खुद कोर्ट लगा कर अपने को क्लीन चिट देना, फिर उस महिला और उसके तमाम रिश्तेदारों का परेशान होना और अंत में चीफ जस्टिस को क्लीन चिट मिलने के बाद महिला का फिर से काम पर बहाल होना, सब कुछ अपने आप में रहस्यमय है। अब उसमें एक नई चीज फोन की टेपिंग और जुड़ गई है।
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सोचें, एक विदेशी एजेंसी के सॉफ्टवेयर से एक साधारण महिला और उससे जुड़े 11 फोन नंबर की जासूसी कितने बड़े घटनाक्रम की ओर इशारा कर रही है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि इन नंबरों की हैकिंग के जरिए ऐसी सूचनाएं जुटाई गईं, जिनसे उस महिला पर दबाव बनाया गया? सरकार कह रही है कि उसका पेगासस के जरिए हुई जासूसी से कोई लेना-देना नहीं है। बाकी सभी मामलों में सरकार की सफाई को स्वीकार किया जा सकता है लेकिन उस महिला की जासूसी में किसी विदेशी एजेंसी की क्या दिलचस्पी हो सकती है?
उस समय कहा गया कि महिला ने एक साजिश के तहत आरोप लगाया है। ऐसे में यह जानना और जरूरी होती है कि इस हैंकिंग का क्या उस साजिश से कोई लेना-देना है। आखिर मामला देश की सर्वोच्च न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति का है। चीफ जस्टिस गोगोई के रहते राफेल से लेकर अयोध्या में मंदिर तक के अनेक बड़े फैसले हुए। इस लिहाज से भी मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए।