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पेगासस में राष्ट्रीय सुरक्षा की क्या बात?

ByNI Political,
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पेगासस में राष्ट्रीय सुरक्षा की क्या बात?
Pegasus spying case SC केंद्र सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत हलफनामा नहीं दिया। अदालत को भी इस पर हैरानी हुई और चीफ जस्टिस ने कहा कि वे उम्मीद कर रहे थे कि सरकार विस्तृत हलफनामा देगी, लेकिन सरकार ने सीमित हलफनामा दिया। उसके बाद सरकार के कानूनी अधिकारियों ने कहा कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला जुड़ा है। इस पर अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा है कि सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों की जानकारी देने की जरूरत नहीं है। सर्वोच्च अदालत में राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला ऐसा बन गया कि याचिका दायर करने वाले पत्रकारों शशि कुमार और एन राम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी कहा कि सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी बातों की जानकारी देने की जरूरत नहीं है। Read also ओबीसी मंत्रियों का सम्मान होगा अब सवाल है कि पेगासस से राष्ट्रीय सुरक्षा का क्या मामला जुड़ा है? शशि कुमार और एन राम सहित कुल नौ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं, जिनमें सर्वोच्च अदालत के मौजूदा या किसी रिटायर जज की अध्यक्षता में विशेष जांच टीम बना कर इस मामले की जांच कराने की मांग की गई है। किसी याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी मामले का खुलासा करने को नहीं कहा है। अगर कोई मौजूदा या रिटायर जज मामले की जांच करता है और उस समय राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी कोई बात सामने आती है तो उसे सार्वजनिक करने से रोका जा सकता है। लेकिन पेगासस से जासूसी हुई या नहीं इसकी जांच कराने में राष्ट्रीय सुरक्षा का क्या मामला है और अगर राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है तो यह अपने आप में इस बात का सबूत है कि सरकार ने जासूसी कराई है! केंद्र सरकार को अपने हलफनामे में सिर्फ इतना बताना है कि उसने जासूसी कराई है या नहीं। अगर उतनी भी जानकारी नहीं देनी है तो सिर्फ यह बताना है कि उसने इजराइल की एजेंसी एनएसओ से पेगासस स्पाईवेयर खरीदा है या नहीं। यह बात वैसे भी जाहिर होनी है क्योंकि इजराइल की सरकार इस बात की जांच कर रही है कि एनएसओ ने किन किन देशों को स्पाईवेयर बेचा है। उधर फ्रांस में भी इस बात की जांच हो रही है और कंपनी ने भी खुद भी अपने कई क्लांयट को इसके गलत इस्तेमाल के वजह से प्रतिबंधित कर दिया है। Read also तालिबान में भी मलयाली आतंकवादी! बहरहाल, अगर सरकार ने पेगासस नहीं खरीदा है और उससे किसी की जांच नहीं कराई है तो यह कहने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। जैसे रक्षा मंत्रालय ने संसद में कह दिया कि उसने एनएसओ के साथ कोई लेन-देन नहीं की है। इसी तरह बाकी सभी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों से जानकारी लेकर केंद्र सरकार कह दे कि उसने पेगासस स्पाईवेयर नहीं खरीदा है। लेकिन यह कहने की बजाय अगर सरकार कह रही है कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है तो इसका मतलब है कि सरकार कुछ छिपाना चाह रही है। फिर भी सरकार इतना तो बताए कि उसने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ लोगों की जासूसी कराई! लेकिन यह स्वीकार करने में मुश्किल यह है कि फिर विपक्ष के नेताओं, अपने मंत्रियों, अधिकारियों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से देश की सुरक्षा को कैसा खतरा था, जो उनके फोन की जासूसी कराई गई?
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