वस्तु व सेवा कर, जीएसटी कौंसिल की 45वीं बैठक से पहले कमाल का दिखावा किया गया। मीडिया में यह खबर प्रचारित कराई गई कि मंत्री समूह पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखने जा रहा है। इस खबर में यह भी बताया गया कि अगर पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इनके दाम में प्रति लीटर 28 रुपए तक की कमी आ सकती है। ध्यान रहे इससे पहले भी जब धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम मंत्री थे तब इस तरह की खबरों की चर्चा हुई थी कि कौंसिल की बैठक में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का प्रस्ताव आएगा। GST meeting modi government
हकीकत यह है कि पहले भी यह प्रस्ताव नहीं आया था और इस बार भी कोई प्रस्ताव कौंसिल की बैठक में नहीं लाया गया। बाद में वित्त मंत्री नहीं कहा कि अभी इसका सही समय नहीं है। असल में यह पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमत का ठीकरा राज्यों पर फोड़ने के प्रयास का एक हिस्सा है। मीडिया की खबरों के जरिए यह नैरेटिव बनाया जाता है कि केंद्र सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन राज्य सरकारें ऐसा नहीं चाहती हैं। इस बार भी यही कहानी दोहराई गई।
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जीएसटी कौंसिल की बैठक से पहले ही खबर आई कि केरल सरकार ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। फिर महाराष्ट्र सरकार के विरोध की खबर आई। तब कर्नाटक, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के भी विरोध करने की खबर आ गई। राज्यों के विरोध के बहाने यह प्रस्ताव टाल दिया गया। अब थोड़े समय तक यह टला रहेगा और इस पर कोई चर्चा नहीं होगी। एक तरह से केंद्र ने यह मैसेज दे दिया है कि बढ़ती कीमत और महंगाई के लिए केंद्र के साथ साथ राज्यों की सरकारें भी जिम्मेदार हैं।
पेट्रोल, डीजल का ठीकरा राज्यों पर
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