पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी समय समय पर शिगूफा छोड़ते रहते हैं। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि राज्य सरकारें इसके लिए तैयार होती हैं तो ऐसा किया जा सकता है, केंद्र को कोई दिक्कत नहीं है। उनको पता है कि राज्य सरकारें तैयार नहीं होंगी क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद सारे करोंकी वसूली का अधिकार केंद्र सरकार को मिल गया है। सिर्फ पेट्रोलियम उत्पाद और आबकारी कर लगाने का अधिकार राज्यों के पास है। उसमें भी पेट्रोलियम से सबसे ज्यादा कर मिलता है। सो, कोई राज्य सरकार इसके लिए तैयार नहीं होगी।
यह बात हरदीप पुरी को पता है इसलिए उन्होंने लोगों की आंख में धूल झोंकने के लिए कह दिया कि राज्य चाहें तो पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में लाया जा सकता है। हकीकत यह है कि केंद्र कभी इसके लिए तैयार नहीं है। केंद्र को भारी भरकम उत्पाद शुल्क से हर साल तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व मिलता है। अगर सरकार सचमुच तैयार होती तो इसके लागू होने में जरा सी भी देरी नहीं होती। अगर केंद्र चाहे तो वह इसके लिए पहल कर सकती है। उसके हाथ में सब कुछ है। जीएसटी कौंसिल में वोटिंग की नौबत आएगी तब भी केंद्र का पलड़ा भारी होगा क्योंकि उसके पास वोटिंग का अहम अधिकार है और साथ ही ज्यादातर राज्यों में भाजपा या उसके प्रत्यक्ष व परोक्ष सहयोगियों की सरकारें हैं। इससे पहले जितने भी टैक्स लगे हैं या टैक्स की दरें बढ़ाई गई हैं उनमें से ज्यादातर की पहल केंद्र ने ही की है लेकिन पेट्रोलियम के मामले में केंद्र सरकार राज्यों के नाम पर खेल रही है।
सिर्फ शिगूफा छोड़ रहे हैं हरदीप पुरी
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