बड़ी हैरानी की बात है कि गौतम अदानी के बारे में सवाल पूछने पर भाजपा के नेता ऐसे भड़क रहे हैं, जैसे लाल कपड़ा देखने पर सांड़ भड़कता है। राहुल गांधी ने अदानी का नाम लिया तो रविशंकर प्रसाद और दूसरे भाजपा नेताओं ने उनकी सात पुश्तों की खबर ली। राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे ने नाम लिया और अदानी समूह के खिलाफ आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जेपीसी जांच की मांग की तो सदन के नेता पीयूष गोयल इतना नाराज हो गए कि उन्होंने खड़गे को निशाना बनाया और वह भी उनके लुई वितों के स्कार्फ को लेकर।
खड़गे ने अदानी की कथित गड़बड़ियों की जेपीसी जांच की मांग तो सदन के नेता गोयल ने खड़े होकर कहा कि क्या खड़गे के लुई वितों की भी जेपीसी जांच होनी चाहिए? कहां हजारों या लाखों करोड़ रुपए की गड़बड़ी में घिरा एक कारोबारी और कहां पांच दशक से ज्यादा समय से राजनीति कर रहे एक स्वच्छ छवि के दलित समाज से आने वाले नेता! लेकिन गोयल इतने नाराज थे कि उन्होंने फर्क करना ठीक नहीं समझा। नाराजगी में उन्होंने कहा कि क्या खड़गे के लुई वितों के स्कार्फ की जेपीसी जांच कराई जाए? क्या यह पता लगाया जाए कि लुई वितों का स्कार्फ कहां से, खड़गे को किसने दिया और कितने का पड़ा? भाजपा के नेता ही बता रहे हैं कि इस स्कार्फ की कीमत 56 हजार रुपए है। तो क्या नौ बार विधायक, तीन बार सांसद और कई बार राज्य व केंद्र में मंत्री रहा नेता 56 हजार का स्कार्फ अपने पैसे से नहीं खरीद सकता है?