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पीएम केयर्स का सच कभी सामने नहीं आएगा!

ByNI Political,
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पीएम केयर्स का सच कभी सामने नहीं आएगा!
तो यह मान लिया है कि कोरोना वायरस और दूसरी किसी आपदा से लड़ने के लिए बनाए गए पीएम केयर्स की स्थिति भारत सरकार के उन फंड्स की तरह हो गई है, जो खुफिया और राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों के लिए इस्तेमाल होते हैं और जिनके बारे में आम लोग कुछ भी नहीं जान पाते हैं। ऐसा मानने का कारण यह है कि पीएम केयर्स फंड को पूरी तरह से जनता की नजरों से दूर कर दिया गया है। इसकी ऑडिट होगी परंतु वह एक स्वतंत्र कंपनी करेगी, जिसके बारे में खबरें आ रही हैं कि वह पहले से भाजपा नेताओं से जुड़ी हुई कंपनी है। यह तय कर दिया गया है कि नियंत्रक व महालेखापरीक्षक यानी सीएजी की संवैधानिक संस्था या संसद की लोक लेखा समिति इसकी जांच नहीं करेगी और सूचना के अधिकार कानून यानी आरटीआई के तहत इसके बारे में जानकारी नहीं हासिल की जा सकेगी। पीएम केयर्स फंड का गठन कोरोना वायरस का संकट शुरू होने के बाद किया गया था। तब भी इस बात को लेकर सवाल उठे थे कि जब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा राहत कोष है तो इसे क्यों बनाया गया है। पर इसका कोई जवाब नहीं दिया गया। इस फंड को सीएजी की जांच के दायरे से दूर रखा गया और संसद की लोक लेखा समिति, पीएसी की बैठक में भाजपा के सांसदों ने अपने बहुमत के दम पर इसकी जांच रूकवा दी। यानी अब इस फंड की स्थिति यह हो गई है कि खाता न बही, जो सरकार कहे वहीं सही। गौरतलब है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार इस फंड को मिलने वाले चंदे का सवाल उठा रहे हैं और दूसरे कई जानकार इस फंड के इस्तेमाल पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि चीन की कंपनियों ने इसमें सैकड़ों करोड़ का चंदा दिया है। पर अभी तक किसी को यह भी पता नहीं है कि इसे कितना चंदा मिला, किसने चंदा दिया और कितना पैसा कहां खर्च किया जा रहा है।
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