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ममता की समर्थन करने की मजबूरी

ByNI Political,
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ममता की समर्थन करने की मजबूरी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारत-चीन सीमा विवाद के मसले पर सरकार का साथ दिया। कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार से तीखे सवाल पूछे। उन्होंने सामरिक मामलों के विशेषज्ञों की तरह सवाल पूछे। इंटेलीजेंस से लेकर सेटेलाइट इमेज और माउंटेन स्ट्राइक फोर्स तक के बारे में पूछा। अपने शुरुआती भाषण में ही उन्होंने साफ कर दिया वे भारत की सेना के साथ हैं और उनकी पार्टी कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है। इसके बावजूद ममता बनर्जी ने उनका साथ देते हुए उनकी हां में हां नहीं मिलाई, बल्कि कहा कि वे सरकार के साथ हैं। कई और पार्टियों ने सरकार का साथ दिया पर वे ज्यादातर सरकार की सहयोगी पार्टियां हैं। विपक्षी पार्टियों में अकेले तृणमूल कांग्रेस ने सरकार से सवाल पूछने की बजाय सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया। कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि ममता की दो मजबूरी है, जिसकी वजह से वे सरकार से सवाल नहीं पूछ सकीं। दोनों चुनावी मजबूरियां हैं। उनको कांग्रेस से दूरी दिखाने की मजबूरी है। अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं इसलिए वे अभी से अपनी पोजिशनिंग कर रही हैं। कांग्रेस और सीपीएम की नजदीकी से वे परेशान हैं इसलिए वे ऐसी लाइन नहीं ले सकती थीं, जो कांग्रेस ले रही थी। दूसरी मजबूरी भाजपा का आक्रामक प्रचार है, जिससे वे बहुत परेशान हैं। एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने का नतीजा वे देख चुकी हैं। उनकी ऐसी जबरदस्त ट्रोलिंग हुई और उनको ऐसे सेना का विरोधी साबित किया गया कि उनकी हिम्मत नहीं हुई कि चीन के मसले पर सरकार से सवाल पूछें। उनको लग रहा था कि अगर उन्होंने सवाल उठाए तो राज्य के बहुसंख्यक मतदाताओं में गलत मैसेज जाएगा।
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