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पीएम के 103 करोड़ दान करने की खबर

ByNI Political,
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पीएम के 103 करोड़ दान करने की खबर
यह कमाल की खबर है, जो पिछले तीन दिन से मीडिया और सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। इस खबर को लेकर चारों तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जय जयकार हो रही है कि उन्होंने 103 करोड़ रुपए दान दिए हैं। यह खबर इस बात से शुरू हुई कि कोरोना वायरस के संक्रमण के समय में लोगों की मदद के लिए बनाए गए पीएम-केयर्स फंड की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बचत के पैसे में से सवा दो लाख रुपए देकर की थी। यानी पहला चंदा सवा दो लाख रुपए का प्रधानमंत्री ने दिया था। हैरानी की बात यह है कि प्रधानमंत्री ने सवा दो लाख दिए यह सबको पता है पर पहले पांच दिन में इस फंड में 3,076 करोड़ रुपए का जो चंदा आया उसमें चंदा देने वाले बाकी कौन लोग हैं उनकी जानकारी नहीं दी गई। जाहिर किसी मकसद से प्रधानमंत्री के चंदे वाली खबर बताई गई। इसके बाद ही यह खबर आई कि उन्होंने 103 करोड़ रुपए दान में दिए हैं। असल में प्रधानमंत्री की अपनी बचत से दिया गया दान 50 लाख रुपए के करीब ही है। उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री का पद छोड़ते समय 21 लाख रुपए वहां के कर्मचारियों की बच्चियों के लिए दिए थे और बाद में 21 लाख रुपए कुंभ मेले में सफाई कर्मचारियों के लिए फंड बनाने के मकसद से दिया। इसके अलावा सवा दो लाख रुपए पीएम-केयर्स फंड में दिए। बाकी पैसे उनको मिले एक पुरस्कार के हैं या बतौर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री उनको मिले तोहफों की नीलामी के हैं। ध्यान रहे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को मिलने वाले उपहार सरकारी होते हैं और उन्हें सरकार के तोशाखाने में जमा कराया जाता है। इनमें से कुछ उपहार प्राप्तकर्ता अपने साथ ले जा सकता है, कुछ उपहारों को सरकारी कार्यालयों में सजावट के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, कुछ उपहार बरसों तक तोशाखाने में पड़े रहते हैं और प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ उपहारों की नीलामी कराई है। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर ‘तोशाखाना में प्राप्त उपहारों का प्रकटीकरण’ किया गया है। उसमें देखने पर पता चलता है कि सैकड़ों की संख्या में उपहार अब भी वहां पड़े हुए हैं। मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, सुषमा स्वराज, नरेंद्र मोदी आदि को मिले उपहार वहां पड़े हैं या कुछ उपहार ये लोग अपने साथ ले  गाए हैं और कुछ उपहार सरकारी कार्यालयों में सजावट के तौर पर इस्तेमाल होते हैं। इसे नीलाम किया जाता है तो यह एक तरह से सरकारी संपत्ति की ही नीलामी होती है, जिसे प्रधानमंत्री के दान के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है।
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