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तो मोदी के मुकाबले ममता ही है!

ByNI Political,
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तो मोदी के मुकाबले ममता ही है!
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने को राष्ट्रीय राजनीति के क्षितिज पर स्थापित करने के प्रयास कर रही हैं। इस प्रयास में दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका की पत्रिका ‘टाइम’ ने उनकी थोड़ी मदद कर दी है। ‘टाइम’ मैगजीन ने दुनिया की एक सौ सबसे प्रभावशाली हस्तियों की जो ताजा सूची बनाई है उसमें भारत के सिर्फ दो ही नेता हैं। एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरी ममता बनर्जी। यह सूची छपने से पहले एक और सर्वे हुआ था, जिसमें मोदी को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बताया गया था। लेकिन वह सर्वे भारत के ढाई हजार लोगों के बीच किया गया था। इसलिए उसे कोई पैमाना नहीं मान सकते। पर ‘टाइम’ मैगजीन का आकलन दूसरी कई चीजों पर है। pm modi vs mamata पत्रिका के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रोफाइल फरीद जकारिया ने लिखी है और ममता बनर्जी की प्रोफाइल बरखा दत्त ने लिखी है। इन दोनों के अपने अपने पूर्वाग्रह हैं लेकिन बरखा दत्त ने ममता के लिए जो लिखा है उससे इनकार नहीं किया जा सकता है। पहले भी ममता के बारे में अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में यह बात छपी है कि पूरे दक्षिण एशिया में राजनीति में उच्च पदों पर पहुंची महिलाओं में ममता बनर्जी इकलौती महिला हैं, जो किसी बड़े नेता की बेटी, बहू, पत्नी, प्रेमिका या करीबी नहीं हैं। उन्होंने राजनीति में अपना मुकाम अपने दम पर बनाया है। बरखा ने उनके बारे में लिखा है वे तृणमूल कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करती हैं, बल्कि वे खुद ही तृणमूल कांग्रेस हैं। वे स्ट्रीट फाइटर हैं और पितृसत्तात्मक समाज में अपने लिए खुद जगह बनाई है। Read also त्रिपुरा में तृणमूल की चिंता में भाजपा बहरहाल, दुनिया की सौ सबसे प्रभावशाली हस्तियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ स्थान मिलने के बाद ममता को एक बड़ा राजनीतिक बूस्ट मिला है। विपक्ष के गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए चल रही जद्दोजहद में देश के बाकी नेताओं के मुकाबले उनको एक बढ़त मिल गई है। उनकी पार्टी कह सकती है कि दुनिया उनको मोदी की तरह प्रभावशाली मान रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ इतने भर से विपक्षी पार्टियां उनको नेता मान लेंगी और मोदी से लड़ने की कमान उनको सौंप देंगी। वे भी इस बात को समझ रही हैं इसलिए उनकी पार्टी अपने प्रयासों में कमी नहीं ला रही है। अभी तो ममता बनर्जी विधानसभा सीट का उपचुनाव लड़ रही हैं और पूरी पार्टी उनको रिकार्ड मतों से चुनाव जिताने के प्रयास में जुटी है। इसके बाद वे और उनकी पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर पूरी ताकत से जुटेंगे। उन्होंने बहुत सावधानी से राज्यसभा की दो सीटों के चुनाव में दो बंगाली हस्तियों को भेज कर बांग्ला अस्मिता का दांव चल दिया है, जिससे उनको समूचे पूर्वोत्तर में खास कर असम और त्रिपुरा में बड़ा फायदा होगा। देश की पहली बंगाली और दूसरी महिला प्रधानमंत्री बनने का कार्ड अगर वे खेलती हैं तो फिर अगले लोकसभा चुनाव में वे एक बड़ी ताकत होंगी। भाजपा के साथ साथ विपक्ष की सारी पार्टियां भी उनकी आगे की राजनीति पर बहुत बारीक नजर रखे हुए हैं।
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