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जस्टिन ट्रुडो से बातचीत पर सफाई

ByNI Political,
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जस्टिन ट्रुडो से बातचीत पर सफाई
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत बुधवार को हुई थी। बुधवार को ही वार्ता के बाद सरकार की ओर से बयान जारी करके इसका ब्योरा दिया गया। सरकार की ओर से बताया गया कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस से मुकाबले में भारत के प्रयास की तारीफ की और कनाडा के नागरिकों के लिए वैक्सीन मांगा। लेकिन दूसरी ओर कनाडा सरकार की ओर से जो बयान जारी किया गया उसमें कहा गया कि ट्रुडो ने देश में चल रहे किसानों के आंदोलन के बारे में बात की और बातचीत के जरिए उसे सुलझाने की पहल करने को कहा। कनाडा की ओर से जारी बयान में भी कोरोना वायरस की वैक्सीन का जिक्र था लेकिन भारत के बयान में किसान आंदोलन वाली बात का जिक्र नहीं था। उस बातचीत के दो दिन बाद शुक्रवार को भारत की ओर से फिर से इस पर बयान दिया गया और यह स्वीकार किया गया कि किसान आंदोलन पर भी बात हुई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने किसान आंदोलन से निपटने के तरीके के लिए भारत की तारीफ की और कहा कि भारत ने किसानों का मसला सुलझाने के लिए बातचीत का रास्ता चुना, जो लोकतंत्र में सबसे अच्छा विकल्प होता है। अब इससे दो सवाल उठते हैं। पहला, सरकार ने पहले बयान में इसका जिक्र क्यों नहीं किया? दूसरे, क्या यह बात कहने के लिए कनाडा की ओर से कोई दबाव डाला गया? भारत को यह बताना चाहिए क्योंकि आंदोलन शुरू होने पर जब जस्टिन ट्रुडो ने इसका समर्थन किया था तो भारत ने कनाडा के राजदूत नादिर पटेल को बुला कर सख्त आपत्ति जताई थी और इसे भारत के आंतरिक मामले में दखल बताया था। भारत को यह भी बताना चाहिए कि वह किसान आंदोलन को लेकर इतनी संवेदनशील क्यों हो गई है कि दो प्रधानमंत्रियों के बीच की बातचीत को लेकर भी बयान जारी करते हुए किसान आंदोलन की बात गोल कर गई? बाद में फिर वहीं बात मीडिया के सामने कहनी पड़ी।
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