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मायावती, अखिलेश की क्या राजनीति?

ByNI Political,
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मायावती, अखिलेश की क्या राजनीति?
उत्तर प्रदेश की दोनों क्षेत्रीय पार्टियां क्या राजनीति कर रही हैं, यह किसी को समझ नहीं आ रहा है। कोरोना वायरस की महामारी शुरू होने के बाद से लेकर वैक्सीन आने तक इन दोनों पार्टियों के नेताओं ने सिर्फ कुछ ट्विट किए हैं या दो-चार मीडिया के सामने आकर बयान दिया है। अखिलेश यादव ने एकाध बार कुछ नाटकीय करने का प्रयास किया और उसके बाद फिर वे घर में बैठ गए। कोरोना वायरस की वैक्सीन आई तो अखिलेश यादव ने यह अजीबोगरीब बात कही है कि वैक्सीन भाजपा की है और इसलिए वे इसे नहीं लगवाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार बनेगी तो सबको मुफ्त में वैक्सीन लगेगी। सवाल है कि राज्य में चुनाव सवा साल बाद होंगे और उसमें भी उनकी सरकार बनेगी या नहीं इसकी गारंटी नहीं है तो क्या राज्य के लोग महामारी का मुकाबला बिना वैक्सीन के करते रहें? दूसरी ओर अखिलेश से उलट बसपा प्रमुख मायावती ने वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने का स्वागत  किया। वैसे भी वे केंद्र सरकार के हर फैसले का स्वागत और समर्थन ही कर रही हैं। वैक्सीन की इस राजनीति को छोड़ दें तो लॉकडाउन के समय उत्तर प्रदेश के मजदूरों का पलायन इतिहास में दर्ज हुई भयावह कहानी है पर दोनों नेताओं ने इसे लेकर कोई पहल नहीं की। हिंदी फिल्मों के एक अभिनेता ने अकेले हजारों लोगों की मदद की पर सपा और बसपा जैसी बड़ी पार्टियों ने उत्तर प्रदेश के किसी मजदूर की मदद की, इसकी मिसाल नहीं है। अभी किसान आंदोलन चल रहा है। किसानों ने अपने आंदोलन को अराजनीतिक रखा है पर सपा और बसपा को अपने राज्य में अलग से प्रदर्शन करने और किसानों की मांगों का समर्थन करने से किसने रोका है? ध्यान रहे कई राज्यों में इस तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं। बिहार में राजद और लेफ्ट ने किसानों की मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। बहरहाल, ऐसा लग रहा है कि सपा और बसपा घर में बैठ कर यह मुगालता पाले हुए हैं कि चुनाव आएगा तो लोग उनका समर्थन कर देंगे।
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