अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को और नाराज कर दिया है। उन्होंने झारखंड में कांग्रेस के समर्थन से सरकार चला रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने रांची में कहा कि कांग्रेस या तो उनके साथ है या भाजपा के साथ। उन्होंने केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर यह बात कही। केंद्र ने दिलली सरकार के अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले पर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए अध्यादेश जारी किया है। इसके तहत एक प्राधिकरण बनाया गया है, जो अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का फैसला करेगा। केजरीवाल इस अध्यादेश के विरोध में विपक्षी पार्टियों का समर्थन जुटा रहे हैं। अभी तक कांग्रेस ने इस पर उनको समर्थन देने का वादा नहीं किया है और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने उनको मिलने का समय दिया है। तभी उन्होंने कहा कि कांग्रेस को तय करना है कि वह संविधान, संघीय व्यवस्था और लोकतंत्र के साथ है या मोदी जी के साथ।
कांग्रेस नेता इस बात से बहुत नाराज हैं। दिल्ली और पंजाब के कांग्रेस नेताओं ने पहले ही केजरीवाल का समर्थन नहीं करने का दबाव बनाया हुआ था लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता खास कर अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनके प्रति सद्भाव दिखाया था। अब कहा जा रहा है कि खड़गे भी नाराज हैं। कांग्रेस के एक जानकार नेता ने कहा कि पार्टी ने अभी अध्यादेश पर अपनी रणनीति नहीं बनाई है लेकिन यह तय है कि वह अध्यादेश के पक्ष में वोट नहीं करेगी। इसके बावजूद केजरीवाल ने रांची में कांग्रेस को लक्ष्य करके कहा कि कोई भी पार्टी इस अध्यादेश क पक्ष में कैसे वोट कर सकती है। कांग्रेस का मानना है कि केजरीवाल इस तरह के बयान कांग्रेस को बदनाम करने के लिए दे रहे हैं। कांग्रेस को यह भी लग रहा है कि केजरीवाल अपने को भाजपा का सबसे बड़ा विरोधी साबित करके मुख्य विपक्ष बनने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसलिए भी कांग्रेस उनसे दूरी बना रही है।