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पॉलिटिक्स एट द पिक :  थिएटर आर्टिस्ट  के भाजपा जॉइन  करने पर किया नाटक से बाहर

ByNI Desk,
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पॉलिटिक्स एट द पिक :  थिएटर आर्टिस्ट  के भाजपा जॉइन  करने पर किया नाटक से बाहर
Kolkata: पश्चिम बंगाल में चुनाव (Bengal Elections) का असर अब आम लोगों पर भी पड़ने लगा है. टीएमसी (TMC) और भाजपा (BJP) के टकराव से आम लोग भी प्रभावित हो रहे हैं. यह मामला कौशिक कार नाम के एक थिएटर आर्टिस्ट का है. जिसे प्ले से इसलिए हटा दिया गया क्यों कि उसने  बीजेपी जॉइन कर ली थी. इस घटना के बाद से बंगाल के सांस्कृतिक कलाकार भी दो हिस्सों में बंटटे हुए नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया (SOCIAL MEDIA) में भी इस बात को लेकर गहमागहमी बढ़ गयी है. हालांकि इस घटना के बाद से कुछ वरिष्ठ कलाकारों ने मोर्चा संभाला है. उनका कहना है कि कलाकर सिर्फ कलाकार होता है उसे राजनीति का चश्मा पहनाकर नहीं देखा जाना चाहिए.  कलाकार की भी एक निजी जिंदगी होती है जिसमें वो अपनी इच्छा से कुछ भी कर सकता है. इसे कलाकार की क्षमता से के साथ जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए.

क्या कहना प्ले का मंचन करने वाले सौरव का

प्ले का मंचन करने वाले सौरव पलोधी (SOURAV PALODHI) का कहना है कि नाटक का वर्तमान राजनीतिक जुड़ाव (POLITICAL CONNECTION)  ही उन्हें हटाये जाने कारण है. उन्होंने कहा कि  2019 में पलोधी ग्रुप ने उन्हें कैरेक्टर प्ले करने के लिए इनवाइट किया था. सौरव ने कहा कि उत्पल दत्त के इस प्ले को अडॉप्ट करते समय मैंने और कौशिक ने ही मिलकर उनका कैरेक्टर रचा था. साथ ही कैरेक्टर का नाम अखलाक भी हम दोनों की सोच थी. उन्होंने कहा कि यह प्ले  2015 में दादरी में हुई मॉब लिंचिंग (Mob lynching) की घटना पर आधारित है. जहां बीफ के शक के आधार पर एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. ऐेसे में यदि  प्ले का मुख्य कलाकर ही भाजपा जॉइन कर ले तो ये प्ले की आत्मा पर प्रहार करने की ही तरह होगा.

बंगाल चुनाव में आम और खास सब बंटे

बंगाल में होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों के साथ ही सभी आम और खास भी बंटे हुए नजर आ रहे हैं. लोगों के बीच मतभेद होना तो आम बात है लेकिन कई बार तो बात बहस तक पहुंच जा रही है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा और टीएमसी के बीच के इस मुकाबले में आम लोग भी बंट रहे हैं. बंगाल में अब आगे क्या होगा ये बोलना फिलहाल तो जल्दबाजी होगी लेकिन आम लोगों के बीच की इस तरह का तनाव सही नहीं है. इसे भी पढ़ें- नितिन पटेल, मनोज सिन्हा और अब धन सिंह!

किसने क्या कहा

  • डायरेक्टर-निदेशक देबेश चट्टोपाध्याय ने सौरव पलोधी का पक्ष लिया है और कहा कि कलाकर की निजी व्यक्तित्व का उसके काम पर काफील फर्क पड़ता है. ऐसें में उसे हटाया जाना एक सही निर्णय है.
  •   डायरेक्टर कमलेश्वर मुखर्जीॉ इस बात से सहमत नहीं दिखाई दिये उन्होंने कहा कि प्ले में कास्ट किया जाने को किसी भी सूरत में राजनीतिक विचारधारा से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.
  • बंगाल के प्रसिद्ध ऐक्टर रिधि सेन ने कहा कि हर किसी व्यक्ति की अपनी चॉइस के अनुसार काम करने की स्वतंत्रता है. लेकिन कलाकार को कलाकर ही समझा जाए तो ये बेहतर होगा.
  • वहीं  ऐक्टर कंचना मोइत्रा ने इसे असहिष्णुता करार दिया है और कहा कि ये सही नहीं है. ऐसी घटनाओं से कलाकरों का अपमान होता है.
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