कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से विपक्षी नेताओं की बुलाई गई बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए। बैठक में इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रवेश परीक्षाओं को लेकर चर्चा होनी थी और जीएसटी का मुआवजा राज्यों को नहीं दिए जाने के मुद्दे पर भी बात होनी थी। इन दोनों मुद्दों पर केजरीवाल की राय वहीं है, जो कांग्रेस के दूसरे मुख्यमंत्रियों और अन्य विपक्षी मुख्यमंत्रियों के हैं। पर केजरीवाल इसके बावजूद बैठक में नहीं शामिल हुए। बताया जा रहा है कि वे जान बूझकर कांग्रेस के दूरी दिखाने की राजनीति कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि अगर वे सोनिया गांधी की बैठक में गए तो कांग्रेस के साथ उनकी करीबी का प्रचार भाजपा करेगी, जिसका फायदा कांग्रेस को होगा।
दिल्ली में 2022 में नगर निगम के चुनाव होने वाले हैं। इस समय तीनों नगर निगम में भाजपा का कब्जा है। पिछले चुनाव में तीनों निगमों में आम आदमी पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी। परंतु उसके बाद से कांग्रेस ने काफी सुधार किया है और कोरोना वायरस के संकट में कांग्रेस नेता बहुत सक्रिय रहे हैं। लोकसभा के चुनाव में सात में से पांच सीटों पर कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी। इससे केजरीवाल को यह खतरा दिख रहा है कि कांग्रेस रिवाइव कर सकती है। तभी वे सेकुलर की बजाय हिंदुत्व की राजनीति पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। वे कांग्रेस के साथ बैठक में जाने की बजाय हनुमान मंदिर जाने की फोटो छपवाने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं।