जैसे अमेरिका के हर राष्ट्रपति की ख्वाहिश अब्राहम लिंकन बनने की होती है उसी तरह भारत के हर प्रधानमंत्री की इच्छा होती है कि वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के जैसा हो जाए। नेहरू की तरह उसे महत्व और अमरत्व मिले। हालांकि नेहरू के बाद बने किसी प्रधानमंत्री की यह इच्छा पूरी नहीं हुई और आगे भी शायद ही कोई नेहरू हो सके। लेकिन कम से कम एक मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेहरू से आगे निकल गए। उन्होंने संसद की नई इमारत का शिलान्यास कर दिया।
नेहरू संसद भवन नहीं बनवा पाए थे। उन्होंने अंग्रेजों की बनाई संसद भवन से ही लोकतंत्र को मजबूत किया और देश को ऐसे रास्ते पर आगे बढ़ाया, जिस पर चल कर आज भारत यहां तक पहुंचा है। वे भाखड़ा नांगल बांध और अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र, एम्स और परमाणु ऊर्जा केंद्र, आईआईटी और आईआईएम बनवाने में, संगीत नाटक और साहित्य अकादमी बनवाने में बिजी रह गए। सो, संसद भवन नहीं बनवा पाए। पर नरेंद्र मोदी ने संसद भवन की नई इमारत का शिलान्यास किया है। अब भविष्य में देश की संसद और देश का लोकतंत्र दोनों उनके नाम से जाने जाएंगे!
नेहरू से आगे निकल गए आखिर मोदी!
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