पिछले आठ साल में दिल्ली में जिस तरह से बंगले की मारामारी मची है वैसी पहले कभी देखने को नहीं मिली। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते 10 साल कांग्रेस की सरकार थी लेकिन अपवाद की एकाध घटनाओं को छोड़ दें तो कभी किसी से बंगला खाली कराने या सामान निकाल कर सड़क पर फेंकने आदि की घटनाएं देखने को नहीं मिली। लेकिन अब आए दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं। पिछले दिनों स्वर्गीय रामविलास पासवान का 12, जनपथा का बंगला खाली कराया गया। बंगले के परिसर में लगी पिता की प्रतिमा के सामने चिराग पासवान के घुटने टेक कर बैठने और बाहर बिखरे सामान से एक अलग नैरेटिव बना। चिराग खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते थे लेकिन उनका सामान निकाल कर बाहर फेंक दिया गया और वे कह रहे थे कि उनके पास रहने को घर नहीं है। वे अपनी नानी के घर रहने जा रहे थे।
सोचें, 2009 के चुनाव में कांग्रेस को ठोकर मार कर रामविलास पासवान चले गए थे और चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने वह बंगला नहीं खाली कराया। 2010 में राज्यसभा बने लेकिन राज्यसभा सांसद के नाते भी वे टाइप आठ के बंगले के हकदार नहीं थे फिर भी वह बंगला उनके पास रहने दिया गया था। इसी तरह 2004 से 2014 के बीच भाजपा के किसी नेता का बंगला खाली कराए जाने की खबर नहीं आई। भाजपा के जिन नेताओं को मंत्री रहते हुए जो बंगले आवंटित हुए थे वे मंत्री नहीं रहने पर भी उन्हीं बंगलों में रहे। लालकृष्ण आडवाणी से लेकर रविशंकर प्रसाद और मौजूदा उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू से लेकर शाहनवाज हुसैन तक सब अपने अपने बंगले में रहे। लेकिन भाजपा की सरकार बनने के बाद कांग्रेस के जितने पूर्व मंत्री टाइप आठ के बंगले में थे, सबसे बंगला खाली कराया गया। इतना ही नहीं भाजपा के नेताओं के भी मंत्री नहीं रहने पर बंगला खाली कराया गया या खाली कराया जा रहा है।