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कोई भी अध्यक्ष बने, क्या फर्क पड़ेगा?

ByNI Political,
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कोई भी अध्यक्ष बने, क्या फर्क पड़ेगा?
जैसे भारतीय जनता पार्टी ने जेपी नड्डा को अध्यक्ष बना दिया तो भाजपा की राजनीति पर क्या फर्क पड़ गया? भाजपा की राजनीति वैसे ही चल रही है, जैसे अमित शाह के अध्यक्ष रहते चलती थी। अमित शाह के अध्यक्ष रहते कर्नाटक में भाजपा ने कांग्रेस और जेडीएस की सरकार गिरा कर अपनी सरकार बनाई थी और नड्डा के अध्यक्ष बनने के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरा कर भाजपा ने अपनी बनाई। भाजपा का प्रचार का तरीका, संगठन चलाने का तरीका, राजनीति करने का तरीका सब कुछ वैसा ही जैसा अमित शाह के रहते थे। फर्क सिर्फ इतना है कि नड्डा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे हैं। वैसे ही कांग्रेस भी किसी को अध्यक्ष बना दे, क्या फर्क पड़ता है! राजनीति तो वैसी ही होगी, जैसी सोनिया, राहुल और प्रियंगा चाहेंगे। अध्यक्ष की कुर्सी पर कोई बैठे, सबको पता होगा कि असली ताकत किसके पास है। नेता से कुर्सी की ताकत और शोभा बढ़ती है, कुर्सी पर बैठ कर कोई नेता नहीं बनता है। जॉर्ज फर्नांडीज ने जया जेटली को समता पार्टी का अध्यक्ष बना दिया था। शरद यादव जैसे बड़े नेता जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे पर तब भी सबको पता था कि असली ताकत नीतीश कुमार के पास है। और पार्टी वैसे ही चलती रही, जैसे नीतीश चलाना चाहते थे। सो, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन बैठा। कम से कम अभी कोई नेता ऐसा नहीं दिख रहा है, जो कुर्सी पर बैठते ही देश की राजनीति को बदल देगा। कोई नेता ऐसा नहीं है, जिसके पास कोई चमत्कारिक चाबी है, जिससे वह कांग्रेस की सफलता का ताला खोल देगा। कांग्रेस की सफलता का ताला राहुल और प्रियंका की मेहनत और समझदारी से ही खुलेगा। इसलिए कांग्रेस के तीनों बड़े नेता यह असमंजस की स्थिति खत्म करें और किसी को भी कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा दें, लेकिन अपनी राजनीति कायदे से करें।
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