भारत में अपनी विरोधी पार्टी को बदनाम करने का एक तरीका यह होता है कि उसे किसी दूसरी और वैचारिक रूप से भिन्न पार्टी की बी टीम बता दिया जाए। इससे कई बार बहुत दिलचस्प स्थिति पैदा होती है क्योंकि हर पार्टी दूसरी पार्टी को किसी न किसी पार्टी की बी टीम ठहरा रही होती है। ऐसी ही स्थिति इस समय पूर्वोत्तर की राजनीति में देखने को मिल रही है। वहां चुनाव लड़ रही हर छोटी बड़ी पार्टी, जिसमें भाजपा, कांग्रेस और लेफ्ट से लेकर तृणमूल कांग्रेस और तिपरा मोथा जैसी प्रादेशिक पार्टी भी शामिल है, एक दूसरे को किसी न किसी पार्टी की बी टीम ठहरा रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रचार के लिए त्रिपुरा पहुंचीं तो उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी लेफ्ट की बी टीम है। इसके जवाब में कांग्रेस और लेफ्ट के नेताओं ने कहा है कि ममता बनर्जी भाजपा की बी टीम हैं और भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव लड़ रही हैं। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रादेशिक पार्टी तिपरा मोथा को कांग्रेस और लेफ्ट की बी टीम बताया तो जवाब में तिपरा मोथा के प्रद्योत देबबर्मा ने भाजपा को पूर्वोत्तर की क्षेत्रीय पार्टियों की बी टीम बताया। इस तरह हर पार्टी किसी न किसी पार्टी की बी टीम है और इस आधार पर कह सकते हैं कि पूर्वोत्तर का चुनाव बी टीमों के बीच हो रहा है।