राहुल गांधी कड़ाके की ठंड में पदयात्रा कर रहे हैं ताकि कांग्रेस में जान फूंक सकें लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस संगठन के नेताओं का लापरवाही भट्ठा बैठाने वाली है। याद करें कैसे दिल्ली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का नाम ही मतदाता सूची में नहीं था और यह बात प्रदेश अध्यक्ष को तब पता चली, जब वे वोट डालने गए। पहले उन्होंने चेक ही नहीं किया कि उनका नाम मतदाता सूची में है या नहीं। सोचें, फिर वे समर्थकों के नाम क्या ही चेक कर पाए होंगे! अब इससे भी आगे का कारनामा महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस ने किया है। राज्य में पांच सीटों के लिए विधान परिषद के चुनाव हो रहे हैं, जिसमें कांग्रेस ने अपने कोटे की एक सीट पर जिस उम्मीदवार को टिकट दिया उसने नामांकन ही दाखिल नहीं किया। हैरानी की बात है कि इस बारे में प्रदेश नेताओं को पहले से कुछ भी पता नहीं था।
कांग्रेस ने महाराष्ट्र की नासिक स्नात्तक सीट के लिए सुधीर तांबे को टिकट दिया। लेकिन उन्होंने नामांकन नहीं दाखिल किया। उनकी जगह उनके बेटे सत्यजीत तांबे ने दो सेट में नामांकन दाखिल किया, जिसमें एक निर्दलीय और दूसरा कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर था। कांग्रेस की पुरानी परंपरा के मुताबिक बिल्कुल आखिरी दिन नाम की घोषणा हुई थी इसलिए पार्टी के पास समय भी नहीं था कि वह दूसरा उम्मीदवार घोषित करे। अब स्थिति यह है कि कांग्रेस के मौजूदा एमएलसी सुधीर तांबे नहीं लड़ रहे हैं और उनके बेटे सत्यजीत तांबे निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जिनको भाजपा का समर्थन है। सोचें, महागठबंधन की पार्टियों शिव सेना और एनसीपी ने कांग्रेस को दो सीटें दीं, जिनमें से एक कांग्रेस ने ऐसे गंवाई। अब कांग्रेस पूर्व भाजपा नेता और निर्दलीय उम्मीदवार शुभांगी पाटिल को इस सीट पर समर्थन दे रही है। कांग्रेस को मिली दूसरी सीट अमरावती की, जहां कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला है। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष महा विकास अघाड़ी के सहयोगियों से इस बात के लिए लड़ रहे हैं कि नागपुर की सीट भी कांग्रेस को ही मिलनी चाहिए थी। जो सीट मिली वहां उम्मीदवार नहीं दे सकी पार्टी और दावा पांच में से तीन सीट लेने का है!