जब से दिल्ली पुलिस की टीम राहुल गांधी के घर पहुंची और उनसे श्रीनगर में दिए उनके भाषण के मामले में पूछताछ की है तब से भाजपा नेताओं के ऊपर भी दबाव बनने लगा है। जब भी कोई भाजपा नेता खास कर बड़े मंत्री आरोप लगाने के अंदाज में कोई बात कहते हैं तो तुरंत सोशल मीडिया में यह ट्रेंड शुरू हो जाता है कि उन्हें शिकायत दर्ज करानी चाहिए या पुलिस को उनसे पूछताछ करनी चाहिए। ध्यान रहे राहुल गांधी ने श्रीनगर की सभा में जनवरी में कहा था कि कुछ महिलाएं उनके पास आई थीं और कहा था कि उनका यौन शोषण हुआ था। थोड़े दिन के बाद दिल्ली पुलिस उनके घर पहुंच गई थी कि वे उन महिलाओं के नाम बताएं ताकि उनको सुरक्षा मुहैया कराई जा सके। उस मामले में राहुल ने जवाब दिया और पता नहीं उसके बाद दिल्ली पुलिस क्या कर रही है।
लेकिन तब से कपिल सिब्बल और उनके जैसे कई कानूनी जानकार सोशल मीडिया में यह मुद्दा उठाते हैं। जैसे पिछले दिनों अमित शाह ने कहा कि जब वे गुजरात में थे और सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी तब सीबीआई के अधिकारी उनसे कहते थे कि मोदी का नाम ले लो तो बच जाओगे। इससे पहले उन्होंने मेघालय की चुनावी सभा में कहा था कि कोनरेड संगमा की सरकार सबसे भ्रष्ट सरकार है। इसी तरह केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि कुछ रिटायर जज एंटी इंडिया गैंग के सदस्य हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कुछ लोगों ने सुपारी दे रखी है उनकी छवि खराब करने के लिए। इस तरह के बयानों के बाद यह सवाल उठने लगा है कि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री या कानून मंत्री कैसे सिर्फ आरोप लगा सकते हैं? वे शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराते हैं या जैसे राहुल गांधी से पुलिस ने पूछताछ की उसी तरह से इन लोगों से भी पुलिस पूछताछ क्यों नहीं कर रही है?