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कृषि कानून और कैप्टेन की राजनीति

ByNI Political,
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कृषि कानून और कैप्टेन की राजनीति
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह रोज अपने बयान बदलते हैं। उन्होंने अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा के साथ ही कहा कि वे भाजपा के साथ तालमेल करेंगे। उनके बयान के तुरंत बाद भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा कि भाजपा को उनके साथ तालमेल करने में कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि वे देशभक्त नेता हैं। अब कैप्टेन ने बयान बदल दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि कानून वापस होते हैं तभी सियासी बातचीत हो सकती है।

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सोचें, क्या पंजाब में दो-चार सीटें हासिल करने के लिए केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लेगी? अगर केंद्र सरकार को कृषि कानून वापस लेने होते तो वह काफी पहले यह काम कर चुकी होती। इन कानूनों को वापस नहीं करने और 11 महीने से चल रहे किसानों के आंदोलन से भाजपा को बहुत नुकसान हुआ है। इसके बावजूद सरकार कानूनों पर अमल के लिए अड़ी है। तभी यह संभावना कम है कि वह कानूनों को वापस लेगी।

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फिर सवाल है कि कैप्टेन ने क्यों भाजपा से तालमेल की बात कही और अब कानून वापस होने पर ही सियासी बातचीत की शर्त रख रहे हैं? क्या अंदरखाने कैप्टेन और भाजपा में कोई बात हुई है, जिसके तहत कैप्टेन इस तरह के बयान दे रहे हैं? यह तय है कि अगर कानून वापस नहीं होता है तो भाजपा से तालमेल करना कैप्टेन के आत्मघाती होगा। हालांकि ऐसा नहीं है कि कानून वापस नहीं होने पर कैप्टेन अकेले लड़ कर कोई झंडा गाड़ देंगे। चुनाव तब भी उनके लिए आत्मघाती ही होना है। उनके लिए सम्मान बचाने लायक वोट हासिल करने की संभावना तभी है, जब कानून वापस हो और वे भाजपा के साथ मिल कर लड़ें।
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