नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ने की बात करके कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हरीश रावत गलती कर रहे हैं। सिद्धू के नाम का कोई फायदा कांग्रेस को नहीं होना है लेकिन अगर यह बात चलती रही तो चरणजीत सिंह चन्नी को राज्या का पहला दलित मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस जो फायदा लेना चाहती है वह उसको नहीं मिलेगा। दलितों में अगर यह मैसेज गया कि चुनाव के बाद कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू या किसी दूसरे जाट सिख को मुख्यमंत्री बना सकती है तो उनक वोट बंट सकता है। वे उन पार्टियों की ओर भी देखेंगे, जिन्होंने दलित मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया है। इसलिए कांग्रेस को अभी सिद्धू या किसी और के नेतृत्व की बात नहीं करनी चाहिए। Punjab CM CharanjitSingh Channi
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ध्यान रहे पंजाब की आबादी में जाट सिख आबादी सिर्फ 16 फीसदी है और उसका भी बहुसंख्यक वोट अकाली दल को जाता है। पारंपरिक रूप से जाट सिख अकाली दल के वोटर रहे हैं और पिछले चुनावों में उन्होंने आम आदमी पार्टी को भी वोट दिया है। उनके अंदर जो कट्टरपंथी सिख हैं वे आप को पसंद करते हैं। तभी आप ने जाट सिख मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया है। इसलिए कांग्रेस को सिद्धू या किसी दूसरे जाट सिख का नाम आगे करने की कोई जरूरत नहीं है। पारंपरिक रूप से कांग्रेस को पंजाब के ओबीसी और दलित का वोट मिलता रहा है। राज्य का पहला दलित मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस ने बड़ा दांव चला है। इसलिए कांग्रेस को पूरा फोकस चन्नी पर रखना चाहिए। अगर अगले चार-पांच महीने कांग्रेस चन्नी को अपने हिसाब से काम करने देती है और प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से यह मैसेज करती है कि कांग्रेस जीती तो चन्नी ही फिर मुख्यमंत्री होंगे तभी उसको इस दांव का पूरा फायदा मिल पाएगा।
चन्नी के नाम पर ही कांग्रेस को लड़ना होगा
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