पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में एक बड़ी लाइन खींच दी है। उन्होंने विधानसभा में प्रस्ताव पास करा करके इसे वापस लेने की मांग की है और यह संकेत भी दिया है कि केरल की तरह उनकी सरकार भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट जाएगी। तभी सवाल है कि कांग्रेस शासित दूसरे राज्यों में क्या होगा? क्या कांग्रेस के शासन वाले दूसरे राज्य भी नागरिकता कानून का इसी तरह विरोध करेंगे और अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे?
यह अभी नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि इस मामले में बहुत सावधानी से आगे बढ़ रही है। उसे यह भी चिंता है कि कहीं मामला बैकफायर न कर जाए। पंजाब की स्थिति अलग है। वह सीमा से सटा राज्य है और अमरिंदर सिंह ने नागरिकता मामले को देश की सुरक्षा से जोड़ा है। उन्होंने 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिख कर कहा था कि इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए लोगों को नागरिकता दी जाने लगेगी तो सुरक्षा के लिए खतरा होगा।
उनका कहना था कि पाकिस्तान इसके सहारे खालिस्तानी आतंकवाद को फिर से बढ़ावा दे सकता है। ध्यान रहे पाकिस्तान पिछले कुछ समय से इस फिराक में लगा भी है। पर कांग्रेस शासित बाकी राज्यों की स्थिति अलग है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस अगर इस लाइन पर चलती है तो भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है। यह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मुद्दा हो जाएगा। तभी यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने प्रतीकात्मक रूप से एक राज्य से विरोध करा कर अपनी बात कह दी है। बाकी राज्य इस रास्ते पर नहीं चलेंगे। अगर सरकार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, एनआरसी की पहल करती है तब कांग्रेस के सारे राज्य एक साथ विरोध में उतरेंगे।