पिछले दिनों पंजाब में सात नगर निगमों का चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस को भारी जीत मिली थी। सभी सातों निगमों में कांग्रेस को बहुमत मिल गया था और अकाली दल के साथ साथ भाजपा और आम आदमी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया था। सात निगमों की साढ़े तीन सौ सीटों में से 269 पर कांग्रेस जीती थी। आप को सिर्फ नौ और भाजपा को 16 सीटें मिली थीं। इस नतीजे के बाद यह माहौल बना था कि किसान आंदोलन की वजह से भाजपा हारी है। अब भाजपा ने पंजाब की हार का बदला गुजरात में ले लिया है। गुजरात की छह महानगरपालिका में भाजपा ने शानदार जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया।
छह नगरपालिका में 576 सीटें हैं, जिसमें 485 सीट भाजपा जीती है। कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटों से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात यह है कि जैसे उसने पंजाब में आप का सूपड़ा साफ किया था वैसे आप ने सूरत में कांग्रेस का कर दिया। सूरत महानगरपालिका की 120 में से कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली, जबकि आप ने 20 से ज्यादा सीटें जीतीं। पिछली बार कांग्रेस को सूरत में 36 सीट मिली थी। बहरहाल, गुजरात की जीत के बाद प्रधानमंत्री सहित भाजपा के सारे दिग्गज नेता यह प्रचार करने लगे हैं कि यह देश का मूड बताने वाला है और किसान आंदोलन का कोई असर नहीं है। हालांकि पंजाब में सूपड़ा साफ होने पर सारे नेता चुप रह गए थे। हकीकत यह है कि गुजरात भाजपा के मजबूत असर वाला राज्य है इसलिए वहां ऐसे नतीजे अपेक्षित थे, जबकि पंजाब में किसान आंदोलन का असर हुआ था।
भाजपा ने पंजाब का बदला गुजरात में लिया
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