
कांग्रेस पार्टी के अनेक नेता आशंकित हैं कि पंजाब जैसा प्रयोग दूसरे राज्यों में तो नहीं होगा। उनकी आशंका जायज है क्योंकि कांग्रेस आलाकमान यानी राहुल गांधी के यहां इस बात की चर्चा है कि पंजाब का प्रयोग बाकी दोनों कांग्रेस शासित राज्यों में किया जाए, बल्कि छत्तीसगढ़ में तो पंजाब से पहले ही प्रयोग शुरू हो गया था। कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को संकेत था कि वे पद से इस्तीफा दें और संगठन का काम संभालें। उनको प्रियंका गांधी वाड्रा की जगह उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। अब उनको उत्तर प्रदेश का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया गया है। Rahul gandhi congress party
यह भी पार्टी के प्रयोग का हिस्सा है। उनको ऐसे राज्य में जिम्मेदारी दी गई है, जहां पार्टी के लिए कोई संभावना नहीं है। वैसे असम में संभावना थी और वहां भी बघेल ने बड़ी मेहनत की लेकिन कामयाबी नहीं मिली। बहरहाल, बघेल को पता है कि कांग्रेस आलाकमान उनके साथ क्या करना चाह रहा है। इसलिए उन्होंने अपने समर्थक विधायकों को दिल्ली बैठाया है और दो टूक अंदाज में कहा है कि छत्तीसगढ़ पंजाब नहीं है। यह आलाकमान को सीधी चुनौती है। दूसरी ओर आलाकमान की कृपा से मुख्यमंत्री बनने की आस लगाए टीएस सिंहदेव ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के विधायक वहीं करेंगे, जो आलाकमान चाहेगा।
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उधर राजस्थान में प्रयोग की संभावना भांप कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले ही अपनी पोजिशनिंग कर ली है। उन्होंने कहा है कि वे मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करेंगे और उसके बाद फिर चुनाव जीत कर आएंगे। उन्होंने कहा है कि वे 15-20 साल के लिए आए हैं। हालांकि राजस्थान में दशकों से हर चुनाव में सत्ता बदलने का इतिहास रहा है। बहरहाल, भूपेश बघेल और अशोक गहलोत के बयानों कांग्रेस आलाकमान के लिए बहुत साफ संकेत छिपा हुआ है। पार्टी आलाकमान को इस संकेत को समझना चाहिए और इस समय प्रयोग से बचना चाहिए।
यह सही है कि कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा का नेतृत्व स्थापित करने के लिए जरूरी है कि पुराने क्षत्रपों की छुट्टी हो। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि अपने भरोसेमंद क्षत्रपों को ही निपटाया जाए। कांग्रेस के नेता ही यह भी नसीहत दे रहे हैं कि एक पैर जमीन पर रखे बगैर दूसरा पैर हवा में उठाना समझदारी नहीं है। उनका कहना है कि अभी कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब में प्रयोग किया है। सबसे मजबूत क्षत्रप को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। इसके जरिए पार्टी जो मैसेज देना चाहती थी वह मैसेज एकदम नीचे तक चला गया है। कांग्रेस के क्षत्रपों को अहसास हो गया है कि जब कैप्टेन अमरिंदर सिंह के साथ ऐसा हो सकता है तो किसी के साथ भी हो सकता है। इसलिए अब पार्टी को बाकी क्षत्रपों को आजमाने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का पार्टी को अभी अगले साल के चुनावों तक इंतजार करना चाहिए। अगर प्रयोग पंजाब सफल होता है यानी कैप्टेन को हटा कर मुख्यमंत्री बनाए गए दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी पार्टी को जीत दिला देते हैं तो बाकी राज्यों में अपने आप ऐसे प्रयोग के लिए अवसर बनेगा। तब कोई भी क्षत्रप पार्टी आलाकमान को फैसला करने से नहीं रोक पाएगा। rahul gandhi congress party