पंजाब में लंबे समय तक सरकार चला चुकी अकाली दल में इन दिनों घमासान चल रहा है। पार्टी के अनेक पुराने नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। पार्टी के राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने खुलेआम बादल परिवार पर सवाल उठाए। इसके बाद ढींढसा और उनके विधायक बेटे परमिंदर सिंह ढींढसा को पार्टी से निकाल दिया गया। बादल परिवार की राजनीति को लेकर कई और नेता सवाल उठा चुके हैं और सबके ऊपर इसी तरह की कार्रवाई हुई है। कांग्रेस की सरकार होने और आम आदमी पार्टी के मजबूत होने के बीच अकाली दल की अंदरूनी लड़ाई से पार्टी की स्थिति कमजोर हो रही है।
इसी बीच पार्टी ने अपनी सहयोगी भाजपा के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। पार्टी की ओर से भाजपा और केंद्र सरकार पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। दिल्ली के दंगों को लेकर पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश गुजराल ने सवाल उठाया। उन्होंने एनडीए की सहयोगी पार्टियों के सम्मान का मुद्दा भी उठाया था। तभी सवाल उठ रहा है कि अकाली दल आखिर क्या चाहता है? क्या उसे भाजपा से अलग होना है? असल में पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा और अकाली के बीच टकराव चल रहा है। अकाली दल से इस बार सुखबीर बादल और उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल ही जीते हैं। दोनों को इस बार लोकसभा में तीसरी कतार में जगह मिली है।