विनायक दामोदर सावरकर का व्यक्तित्व हमेशा से राजनीतिक विवाद का केंद्र रहा है। उनकी विचारधारा को लेकर कई पार्टियों और नेताओं को परेशानी रही है। फिर भी कभी किसी पार्टी या नेता को वैसा परहेज नहीं रहा है, जैसा अभी कांग्रेस पार्टी और खास कर राहुल गांधी दिखा रहे हैं। अभी राहुल गांधी जिस तरह से बात बेबात सावरकर पर हमला करते हैं, उनको अंग्रेजों से माफी मांगने वाला बताते हैं, वैसा कांग्रेस पहले नहीं करती थी। यह ठीक है कि कांग्रेस उनकी विचारधारा से सहमत नहीं थी लेकिन किसी न किसी स्तर पर आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को स्वीकार भी करती थी। इस नाम पर आजादी के बाद कई बार कांग्रेस ने उनकी मदद की है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 1964 में जब सावरकर बहुत बीमार हुए थे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने केंद्र सरकार की तरफ से उनके इलाज के लिए 39 सौ रुपए जारी किए थे। बाद में एक हजार रुपए की मदद और केंद्र की कांग्रेस सरकार की ओर से भेजी गई थी। उस समय महाराष्ट्र में भी कांग्रेस की सरकार थी, जिसने सितंबर 1964 में सावरकर के लिए तीन रुपए महीने का प्रावधान किया। यह रकम उनको फरवरी 1966 में उनके निधन तक मिलती रही थी। इसी तरह इंदिरा गांधी ने 1970 में सावरकर की याद में डाक टिकट जारी किया था। हालांकि यह भी तथ्य है कि वे सावरकर को पसंद नहीं करती थीं लेकिन उन्होंने पार्टी के नेताओं और अन्य सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सलाह पर सावरकर का सम्मान किया। राहुल गांधी को ये ऐतिहासिक तथ्य भी याद रखने चाहिए।