कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अपने अंतिम चरण में है। लेकिन समापन से पहले यात्रा पर ग्रहण लगता दिख रहा है। यह संयोग है कि उनकी यात्रा दिल्ली पहुंचे उससे पहले एक बार फिर कोरोना का संकट खड़ा हो गया है। हालांकि भारत में अभी कोरोना के केसेज नहीं बढ़ रहे हैं लेकिन पड़ोसी देश चीन सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए केसेज तेजी से बढ़ रहा है। इसका एक नया वैरिएंट आया है, जो बेहद घातक और संक्रामक है और उससे दुनिया खतरे में है। कोरोना का यह संकट अपनी जगह है कि लेकिन ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार इस आपदा को अवसर में बदल कर कांग्रेस की यात्रा बाधित कर सकती है।
यह अनायास नहीं था कि जैसे ही दुनिया में कोरोना के केसेज बढ़ने की खबर आई वैसे ही केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिख दी और कोरोना के ऐसे प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा, जिनका अस्तित्व नहीं है। साथ ही उन्होंने राहुल को उनकी जिम्मेदारी का अहसास भी दिलाया। इसके बाद के घटनाक्रम को देख कर लग रहा है कि मामला तूल पकड़ेगा। कांग्रेस ने तो कह दिया कि सरकार प्रोटोकॉल लागू करे तो कांग्रेस उसका पालन करेगी। लेकिन अगर मीडिया में कोरोना के संकट का हल्ला मचा रहता है और कांग्रेस की यात्रा पर सवाल उठते हैं तो प्रोटोकॉल लागू होने से पहले ही कांग्रेस को इस बारे में विचार करना होगा।
ध्यान रहे भारत में चीन के वैरिएंट बीएफ.7 के केसेज मिल चुके हैं। राहुल की यात्रा में शामिल हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। केंद्र सरकार ने राज्यों को चिट्ठी लिख कर सारे पॉजिटिव सैंपल का जीनोम सिक्वेसिंग कराने को कहा है। उसके बाद बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से मीटिंग की, जिसमें लोगों से मास्क लगाने की अपील की गई और साथ ही हवाईअड्डों पर रैंडम टेस्टिंग का फैसला हुआ। इसके अगले दिन गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना की समीक्षा बैठक की। इस तरह पिछली बार के मुकाबले इस बार केंद्र सरकार ज्यादा फुर्ती दिखा रही है और संक्रमण फैलने से पहले उसे नियंत्रित करने के उपाय कर रही है।
इससे कांग्रेस के ऊपर दबाव बढ़ेगा। ध्यान रहे कांग्रेस की यात्रा दो दिन चलने के बाद 24 दिसंबर की शाम से ब्रेक लेने वाली है। क्रिसमस यानी 25 दिसंबर से दो जनवरी तक यात्रा स्थगित रहेगी। लेकिन अगर इन 10 दिनों में भारत में कोरोना के केसेज बढ़ते हैं और सरकार कुछ और प्रोटोकॉल लागू करती है तो क्या होगा? राजनीतिक रैलियों और यात्राओं पर पूरी पाबंदी नहीं भी हो तो उसके लिए दिशा-निर्देश जारी हो सकते हैं, जिससे यात्रियों की संख्या बहुत सीमित हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो यात्रा के चरम पर पहुंचने यानी श्रीनगर पहुंचने के समय कांग्रेस जो माहौल बनाना चाह रही है वह नहीं बन पाएगा।