कायदे से तो राहुल गांधी के मामले में कांग्रेस पार्टी को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। तीन अदालतों ने राहुल गांधी की सजा पर मुहर लगाई है। पहले सीजेएम कोर्ट ने उनको मानहानि के मामले में दोषी ठहराते हुए उस मामले में जो अधिकतम सजा हो सकती है वह दी। उसके बाद जिला अदालत ने उस पर मुहर लगाई और अब हाई कोर्ट ने भी राहत नहीं दी है। अगर राहुल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो वे न सिर्फ अगला चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, बल्कि उनको जेल भी जाना होगा। गुजरात हाई कोर्ट ने कह दिया है कि उसका फैसला गर्मी की छुट्टियों के बाद आएगा। इसका मतलब है कि जून अंत में या जुलाई में फैसला आएगा।
अगर उससे पहले सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो फिर चुनाव आयोग भी इंतजार नहीं करेगा और राहुल के अयोग्य होने से खाली हुई वायनाड सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर देगा। चुनाव आयोग ऐसा न करे इसके लिए कांग्रेस पार्टी को सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी होगी। उसे हाई कोर्ट के फैसले का अंदाजा हो गया है। वहां राहुल के वकील ने इस मामले में जल्दी फैसले की जरूरत बताते हुए सारे हालात बयान किए थे। लेकिन हाई कोर्ट के जज ने उस पर ध्यान नहीं दिया। सो, कांग्रेस को मामले की गंभीरता सुप्रीम कोर्ट को बता कर अंतरिम राहत हासिल करनी होगी। तभी चुनाव आयोग वायनाड सीट पर उपचुनाव की घोषणा नहीं करेगा या राहुल के खिलाफ पुलिस कार्रवाई नहीं होगी।