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राहुल के मामले में आयोग का इंतजार?

कांग्रेस पार्टी के नेता इस बात से नाराज हैं कि चुनाव आयोग ने केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। वायनाड के कलेक्टर ने सभी पंजीकृत पार्टियों को एक मॉक पोल और ईवीएम के परीक्षण का नोटिस जारी किया है। यह काम कलेक्टर ने निश्चित रूप से चुनाव आयोग के निर्देश पर किया होगा। इस पर कांग्रेस के नेता भड़के हैं। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने इसे एक नया एंगल देते हुए कहा कि चुनाव आयोग को एडवांस में कैसे पता चला कि मानहानि के मामले में राहुल गांधी की सजा पर हाई कोर्ट क्या फैसला देगा? क्या आयोग को पता है कि ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिलेगी और इसलिए उसने तैयारी शुरू की है?

यह आरोप बेसिरपैर का है और कांग्रेस नेता समझ नहीं रहे हैं कि अदालत पर सवाल उठाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है। असली सवाल यह है कि आखिर चुनाव आयोग कब तक इंतजार करेगा? राहुल गांधी की सदस्यता गए हुए अब ढाई महीने हो गए हैं। सूरत की अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी और उसके अगले ही दिन लोकसभा सचिवालय ने राहुल की सदस्यता समाप्त कर वायनाड सीट खाली होने का ऐलान कर दिया था। लेकिन चुनाव आयोग ने उस सीट पर उपचुनाव की कोई जल्दी नहीं दिखाई है।

इससे पहले जितने भी ऐसे मामले आए उनमें आयोग ने आनन-फानन में चुनाव की घोषणा की। उत्तर प्रदेश में आजम खान की सदस्यता समाप्त होने के तुरंत बाद आयोग ने रामपुर सदर सीट पर उपचुनाव करा लिया था, जबकि अब आजम खान उस मामले में बरी हो गए हैं, जिस मामले में सजा होने के बाद उनकी सदस्यता गई थी। इसी तरह स्वार विधानसभा सीट पर भी अब्दुल्ला आजम की सदस्यता जाते ही आयोग ने चुनाव करा लिया। भाजपा के एक विधायक विक्रम सैनी की खतौली सीट खाली होने पर भी आयोग ने एक महीने के अंदर उपचुनाव की अधिसूचना जारी करके चुनाव करा लिया था।

इसी तरह लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को सजा होने के बाद जब उनकी सीट खाली हुई थी तो तुरंत आयोग ने उपचुनाव की घोषणा कर दी थी। बाद में फैजल की सजा पर रोक लगी तब भी उन्हें उपचुनाव रूकवाने के लिए अदालत में जाना पड़ा था। इन सब मिसालों को देखें तो कह सकते हैं कि राहुल के मामले में चुनाव आयोग बहुत हड़बड़ी नहीं दिखा रहा है। ऐसा लग रहा है कि उसे अंदाजा है कि शायद राहुल की सजा पर रोक लग जाए। उसके उलट कांग्रेस ने ही इस मामले में देरी की। सूरत की अदालत के फैसले के बाद कोई 10 दिन कांग्रेस ने अपील नहीं की। उसके बाद भी हाई कोर्ट की बजाय पहले जिला अदालत में अपील और वहां से अपील खारिज होने के बाद कांग्रेस हाई कोर्ट पहुंची। राहुल को वहां से भी राहत नहीं मिली है।

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