कांग्रेस के बड़े नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दो टूक अंदाज में कहा है कि राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार होंगे। यहां तक तो ठीक है कि उन्होंने राहुल को कांग्रेस का चेहरा बताया। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष का भी चेहरा राहुल होंगे। सवाल है कि यह कैसे होगा? विपक्ष कैसे और क्यों उनको अपना नेता स्वीकार करेगा? यह भी बड़ा सवाल है कि क्या कांग्रेस की ओर से किसी ने विपक्ष के नेताओं से बात की है? कम से कम अभी ऐसा नहीं लग रहा है कि कांग्रेस ने परदे के पीछे विपक्षी नेताओं से संवाद का कोई चैनल बनाया है।
कांग्रेस के पास इस काम के लिए कोई बड़ा और भरोसे का नेता भी नहीं दिख रहा है। तभी कमलनाथ की घोषणा हैरान करने वाली है। वे राहुल की यात्रा की तारीफ करते और नेहरू-गांधी परिवार की कुर्बानियों का जिक्र करते तो कोई बात नहीं थी लेकिन उन्होंने इन बातों का जिक्र करते हुए राहुल को विपक्ष का चेहरा बना दिया। तभी विपक्षी पार्टियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। कमलनाथ जैसे बड़े नेता को सोच समझ कर इस तरह का बयान देना चाहिए था। यह कोई दबाव डाल कर विपक्ष को मजबूर करने वाली बात नहीं है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस की ओर से बार बार कहने पर विपक्ष राहुल को नेता मान लेगा। राहुल गांधी को विपक्ष नेता माने इसकी पहली शर्त तो यह है कि कांग्रेस की ताकत बढ़े और यह स्थापित हो कि राहुल के कारण कांग्रेस की ताकत बढ़ी है। यानी राहुल कांग्रेस को चुनाव जिताने वाले नेता के तौर पर स्थापित हों। नए साल में अगर वे यह काम कर पाते हैं तो विपक्ष खुद ब खुद उनको नेता मानेगा।