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राहुल की सक्रियता से वापसी के संकेत

ByNI Political,
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राहुल की सक्रियता से वापसी के संकेत
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सरकार विरोधी ट्विट करने के साथ साथ अब राजनीति रूप से भी सक्रिय हो गए हैं। दिल्ली की प्रदूषित हवा से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह पर गोवा में रह रहीं सोनिया गांधी के साथ बताया जा रहा है कि राहुल गांधी भी गोवा में हैं। लेकिन उन्होंने अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। वे किसान, अर्थव्यवस्था और कोरोना पर सरकार को घेरने वाले ट्विट करने के साथ साथ पार्टी नेताओं के साथ संपर्क में है और लगातार वर्चुअल बैठकें कर रहे हैं। पिछले दिनों राहुल गांधी ने तमिलनाडु के कांग्रेस नेताओं के साथ एक वर्चुअल कांफ्रेंस की, जिसमें अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर डीएमके से तालमेल और कांग्रेस की तैयारियों पर चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि राहुल ने तय प्लान पर प्रदेश कांग्रेस को आगे बढ़ने का निर्देश दिया। अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं वहां के नेताओं से राहुल संपर्क में हैं। हालांकि चुनावी तैयारियों को लेकर तमिलनाडु की तरह की औपचारिक वर्चुअल कांफ्रेंस उन्होंने नहीं की है। फिर भी राहुल गांधी की राजनीतिक सक्रियता से कांग्रेस नेताओं में उम्मीद लौटी है। उनको लग रहा है कि अब वे फिर से पार्टी की कमान संभालने के लिए तैयार हैं। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने पिछले साल अगस्त में पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। वे डेढ़ साल से कुछ ज्यादा समय तक अध्यक्ष पद पर रहे थे और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया था। तब से सोनिया गांधी बतौर अंतरिम अध्यक्ष कामकाज संभाल रही हैं। इस बीच कांग्रेस कार्य समिति ने तय किया है कि अगले साल फरवरी तक नए और पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव करा लिया जाएगा। उससे पहले राहुल की सक्रियता से पता चल रहा है कि वे वापस अध्यक्ष बनेंगे। पिछले दिनों कांग्रेस के दिग्गज नेताओं अहमद पटेल और तरुण गोगोई को श्रद्धांजलि देने के लिए कांग्रेस कार्य समिति की विशेष बैठक बुलाई गई थी, जिसमें कार्य समिति के दो सदस्यों ने राहुल के फिर से अध्यक्ष बनने की बात कही। पार्टी के लगभग सारे वरिष्ठ नेताओं में उनके नाम पर सहमति है। अहमद पटेल के नहीं रहने के बाद सोनिया गांधी भी पहले जैसी स्थिति में नहीं हैं कि पूरी राजनीति को अपने हिसाब से संचालित कर सकें। सो, वे भी चाहती हैं कि जितनी जल्दी हो और जितनी आसानी से हो, राहुल को अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी जाए ताकि वे पार्टी का कामकाज संभालें। बताया जा रहा है कि राहुल और प्रियंका दोनों ने इस मजबूरी को समझा है, तभी राहुल राजनीतिक और चुनावी कामकाज में सक्रिय हुए हैं।
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