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राहुल खुद विपक्षी नेताओं के संपर्क में!

ByNI Political,
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राहुल खुद विपक्षी नेताओं के संपर्क में!
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का कुछ विपक्षी नेताओं के साथ सीधा संपर्क पहले से है। सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी के साथ उनकी अच्छी बनती है और दोनों में अक्सर बातें होती हैं। पिछले साल हुए लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव के समय राहुल ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के साथ सीधे बातचीत का चैनल चालू किया और तब से वे उनके लगातार संपर्क में रहते हैं। इनके अलावा युवा विपक्षी नेताओं जैसे अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव या हेमंत सोरेन के साथ भी राहुल का सीधा संपर्क है। लेकिन देश के बाकी विपक्षी नेताओं खास कर पुराने नेताओं के साथ राहुल या उनकी टीम का सीधा संपर्क नहीं रहा है। आमतौर पर कांग्रेस की ओर से विपक्ष के साथ संपर्क करने का एकमात्र जरिया अहमद पटेल होते थे। उनका सभी पार्टियों के नेताओं के साथ एक जैसा सद्भाव था। अहमद पटेल के निधन के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस की ओर से विपक्ष के साथ बात करने वाला नेता कौन होगा। माना जा रहा है कि अगर राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष बनेंगे तो उनका जो राजनीतिक सलाहकार होगा या तो वह विपक्ष के संपर्क में रहेगा या कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को ही यह जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन उससे पहले कम से कम अभी सीधे राहुल गांधी और उनकी टीम विपक्षी नेताओं के संपर्क में है। बताया जा रहा है कि किसान आंदोलन पर विपक्ष के साथ तालमेल बनाने, एक साझा बयान जारी करने और राष्ट्रपति से समय लेकर मिलने के मामले में राहुल की टीम ने विपक्ष के साथ कोऑडिनेट किया। कांग्रेस के पुराने नेताओं की बजाय राहुल ने खुत विपक्षी नेताओं से बात की। उन्होंने सीताराम येचुरी और शरद पवार दोनों से संपर्क किया। पवार ने पिछले दिनों राहुल गांधी की राजनीति में निरंतरता की कमी बताई थी, जिससे कांग्रेस नेता भड़के थे। लेकिन राहुल ने इससे दरकिनार करके किसानों के मुद्दे पर उनसे संपर्क किया। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी कांग्रेस के सहयोगी नेताओं के अलावा दूसरे विपक्षी नेताओं के भी सीधे संपर्क में हैं। यह उनका प्रयास था कि प्रदर्शन कर रहे किसानों के भारत बंद से एक दिन पहले एक दर्जन विपक्षी नेताओं की ओर से बयान जारी किया गया। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भारत बंद का समर्थन करने का बयान जारी किया और उसके साथ ही 10 और विपक्षी नेताओं के बयान जारी हुए। किसान आंदोलन को इस तरह साझा समर्थन देने का पूरा काम राहुल की टीम ने संभाला और इसका असर भी हुआ। इससे उत्साहित राहुल गांधी ने विपक्षी नेताओं के साथ राष्ट्रपति भवन जाने का भी फैसला किया। सो, ऐसा लग रहा है कि राहुल की राजनीति का नया अध्याय शुरू हो रहा है, जिसमें वे शायद इस धारणा को बदलें कि कांग्रेस जब विपक्ष में होती है तो उसका अध्यक्ष समान विपक्षी पार्टियों में प्रथम होता है।
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