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हरियाणा, राजस्थान में उलटफेर मुश्किल

ByNI Political,
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हरियाणा, राजस्थान में उलटफेर मुश्किल
हरियाणा और राजस्थान में भाजपा ने एक-एक सीट पर पेंच फंसा दिया है। इससे कांग्रेस परेशान है लेकिन किसी उलटफेर की संभावना नहीं दिख रही है। संभवतः भाजपा को भी अंदाजा था कि राजस्थान और हरियाणा में वह उलटफेर नहीं कर पाएगी इसलिए अपना अतिरिक्त उम्मीदवार देने की बजाय उसने दो निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन दिया। हरियाणा में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इंडिया न्यूज समूह के प्रबंधन निदेशक कार्तिकेय शर्मा ने नामांकन किया है। उनकी पहचान सिर्फ इतनी है कि वे केंद्र सरकार और हरियाणा में मंत्री रहे विनोद शर्मा के बेटे हैं, हरियाणा के स्पीकर रहे कुलदीप शर्मा के दामाद हैं और जेसिका लाल मर्डर केस के दोषी मनु शर्मा के भाई हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के दिग्गज नेता और पार्टी महासचिव अजय माकन हैं, जिनके चुनाव की कमान खुद भूपेंदर सिंह हुड्डा ने संभाल रखी है। हरियाणा की पूरी कमान हुड्डा को मिलने के बाद यह पहला मौका है, जब उनको दिखाना है कि वे 2024 के चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने में सक्षम हैं। सो, उन्होंने पूरा दम लगाया है। राज्य में एक सीट जीतने के लिए 31 वोट की जरूरत है। इस समय कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं और 31वें विधायक कुलदीप बिश्नोई भी कांग्रेस के साथ आ सकते हैं। उन्होंने कहा है कि वे राहुल गांधी से मिलने का इंतजार कर रहे हैं। राहुल विदेश से लौट आए हैं और जल्दी ही दोनों की मुलाकात होगी। वैसे भी बिश्नोई भाजपा से धोखा खाए हुए हैं। सुषमा स्वराज ने भाजपा की ओर से लिखित वादा किया था कि बिश्नोई की पार्टी से तालमेल बना रहेगा और 2014 में उनको सीएम का दावदार बना कर भाजपा लड़ेगी। लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह के कमान संभालने के बाद वह समझौता कूड़ेदान में डाल दिया गया। दूसरे भाजपा उनको आदमपुर विधानसभा और हिसार लोकसभा सीट देने को तैयार नहीं है। इसके बावजूद हुड्डा ने अभय चौटाला और निर्दलीय बलराज कुंडू के दो वोट का और इंतजाम किया है। उधर राजस्थान में जादूगर अशोक गहलोत के हाथ में कमान है। उनको तीसरी सीट जीतने के लिए एक भी अतिरिक्त वोट का इंतजाम नहीं करना है। उनकी सरकार को जितने विधायक समर्थन दे रहे हैं उतने भी साथ रहे तो कांग्रेस तीनों सीटें जीत जाएगी। गहलोत सरकार को 125 विधायकों का समर्थन है, जिसमें 108 कांग्रेस के अपने हैं। उनके अलावा 13 निर्दलीय हैं, आरएलपी के तीन और आरएलडी का एक विधायक है। एक सीट जीतने के लिए 41 वोट की जरूरत है। इस लिहाज से तीनों सीटों के लिए कांग्रेस को 123 वोट की जरूरत है, जबकि उसके पास 125 वोट हैं। दो-चार वोट इधर-उधर होते भी हैं तो सरकार के प्रबंधक बीटीपी के दो और सीपीएम के दो विधायकों के संपर्क में भी हैं। दूसरी ओर निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को जिताने के लिए भाजपा को अपने बचे हुए 30 वोट के अलावा 11 अतिरिक्त वोट का इंतजाम करना होगा, जो मुश्किल दिख रहा है।
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