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सरकार के संकटमोचन बने राजनाथ

ByNI Political,
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सरकार के संकटमोचन बने राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सरकार के नए संकटमोचन बने हैं। वे पहले भी पार्टी और सरकार के संकटमोचन रहे हैं पर पिछले कुछ दिनों से वे अपने काम से काम रखते थे। पिछली सरकार में गृह मंत्री रहे तब भी और इस सरकार में रक्षा मंत्री बनने के बाद भी वे अपने मंत्रालय के काम में ही ज्यादा ध्यान देते थे। पर पिछले कोरोना संकट और उसके बीच शुरू हुए संसद सत्र में सरकार जितने मोर्चे पर घिरी है, लगभग हर मोर्चे पर सरकार को उन्हें आगे करना पड़ रहा है। सभी पार्टियों के साथ अपने संबंधों और मीडिया से लेकर आम लोगों के बीच सद्भाव की वजह से उनका चेहरा सरकार को सूट कर रहा है। संसद सत्र से पहले से सरकार चीन के मसले पर घिरी है। प्रधानमंत्री ने कह दिया था कि कोई भी भारत की सीमा में नहीं घुसा है और न कोई घुस आया है। उसके बाद से ही सरकार के बचाव की जिम्मेदारी राजनाथ के ऊपर रही। उन्होंने संसद के दोनों सदनों में लद्दाख की स्थिति पर बयान दिया। सरकार लद्दाख की जमीनी स्थिति के बारे में बहुत कुछ नहीं बता रही है, कई चीजें छिपाई जा रही हैं पर राजनाथ के बयान को मोटे तौर पर स्वीकार किया गया और उसकी आलोचना नहीं हुई। शंघाई सहयोग संगठन, एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया और चीन के रक्षा मंत्री के साथ आमने-सामने की उनकी बातचीत को जम कर तारीफ हुई। मीडिया में उनकी बातचीत की शैली और देह भंगिमा की भी जम कर तारीफ हुई। जब वे रूस के दौरे पर जा रहे थे उसी दिन यह खबर आई थी संसद के मॉनसून सत्र में प्रश्न काल नहीं होगा। इस मसले पर विपक्ष के विरोध को कम करने के लिए सरकार ने राजनाथ सिंह को ही आगे किया। रूस रवाना होने से पहले राजनाथ सिंह ने कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं से बातचीत की। संसद सत्र के पहले दिन से लोकसभा में राजनाथ सिंह अघोषित संसदीय कार्य मंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं। विवादित कृषि विधेयकों को संसद में जोर जबरदस्ती पास कराने के मसले पर भी सरकार की ओर से बतौर संकटमोचन उन्हीं को आगे किया। जैसे ही राज्यसभा में हंगामे के बीच दो विधेयक पास हुए और विपक्ष की ओर से उप सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया तो सरकार ने राजनाथ सिंह को प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए भेजा। उन्होंने पांच मंत्रियों के साथ प्रेस कांफ्रेंस की और विपक्ष को निशाना बनाते हुए सरकार का बचाव किया। किसान की अपनी पहचान के दम पर उन्होंने देश के किसानों को भरोसा दिलाया। कुल मिला कर पिछले कुछ दिनों में एक सर्वमान्य नेता की उनकी छवि मजबूत हुई है।
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