राज्यसभा का चुनाव वैसे तो इस बार कई राज्यों में बेहद दिलचस्प होने वाला है पर झारखंड में, जहां सबसे हाल में विधानसभा का चुनाव हुआ है वहां राज्यसभा का चुनाव सबसे दिलचस्प होगा। इसका कारण यह है कि विधानसभा सीटों की संख्या के लिहाज से पार्टियों की स्थिति ऐसी है कि दूसरी सीट के लिए घमासान तय है। राज्य में दो सीटें खाली हो रही हैं। दोनों सीटें कारोबारियों की हैं। एक सीट कांग्रेस के समर्थन से राजद की टिकट पर जीते प्रेमचंद्र गुप्ता की है और दूसरी आजसू व भाजपा के समर्थन से जीते परिमल नाथवानी की है। ये दोनों या कम से कम नाथवानी जरूर एक सीट जीतने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे।
राज्य में राज्यसभा की एक सी जीतने के लिए 28 वोट की जरूरत है। सत्तारूढ़ गठबंधन यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के 47 विधायक हैं। पर इसके अलावा सरकार को बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के तीन, सीपीआईएमएल के एक, एनसीपी के एक और निर्दलीय विधायक का समर्थन है। इस तरह सरकार के पास अभी 53 विधायकों का समर्थन है। अगर राज्यसभा चुनाव में यहीं स्थिति रही तो उसे दूसरी सीट जीतने के लिए तीन अतिरिक्त वोट की जरूरत होगी। पर राज्यसभा चुनाव में मरांडी की पार्टी के विधायकों और एनसीपी के विधायक का रुख भी अलग हो सकता है। ध्यान रहे राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद फरोख्त के लिहाज से झारखंड सबसे बदनाम रहा है।
बहरहाल, विपक्षी पार्टी भाजपा के पास अपने 25 विधायक हैं। उसे अपना सांसद जिताने के लिए तीन वोट चाहिए होंगे। उसकी पुरानी सहयोगी आजसू के दो विधायक हैं। अगर पार्टी आलाकमान बात करे तो ये दो वोट भाजपा को मिल सकते हैं। उसके बाद उसे एक वोट की जरूरत होगी, जो एक अन्य निर्दलीय विधायक की मदद से मिल सकता है। पर अगर भाजपा को यह सीट जीतनी है तो उसे ऐसा उम्मीदवार देना होगा, जो हर तरह से लड़ने में सक्षम हो। ध्यान रहे पिछली बार भाजपा का एक उम्मीदवार आधे से भी कम वोट के अंतर से राज्यसभा का चुनाव हारा है।