भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव भाजपा के कश्मीर मामलों के प्रभारी और विशेषज्ञ हैं। वे पूर्वोत्तर के मामलों के भी प्रभारी और विशेषज्ञ हैं। वे इसके साथ ही अमेरिका और विदेश मामलों के भी अघोषित प्रभारी और उसके भी विशेषज्ञ हैं। चीन और सामरिक मामलों में भी पार्टी की तरफ से विशेषज्ञ की हैसियत उन्हीं की है। पर मुश्किल यह है कि इतने मामलों के प्रभारी और विशेषज्ञ होने के बावजूद वे अभी तक सांसद नहीं बन पाए हैं। उनसे कम विशेषज्ञता और प्रभारी वाले अनेक लोग न सिर्फ सांसद बने, बल्कि मंत्री भी बन गए। जब भी राज्यसभा के चुनाव आते हैं या मंत्रिमंडल में विस्तार की अटकलें शुरू होती हैं तो सबसे पहले राम माधव का नाम चर्चा में आता है। लेकिन वे कभी बन नहीं पाते हैं।
अभी फिर चर्चा है कि बिहार चुनाव और दिवाली के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल होगी और उसके साथ ही राम माधव की चर्चा शुरू हो गई है। इस बार सीधे मंत्री बनने की बात हो रही है। हालांकि यह कोई नहीं बता रहा है कि सांसद कहां से बनेंगे। ध्यान रहे इस समय कर्नाटक में अशोक गस्ती के निधन से खाली हुए एक सीट पर एक दिसंबर को चुनाव होना है। क्या भाजपा राम माधव को वहां से राज्यसभा में ला सकती है? बिहार में भी रामविलास पासवान के निधन से सीट खाली हुई है पर एक्जिट पोल के नतीजों के बाद ऐसा लगता है कि वह मिलनी मुश्किल है।
बहरहाल, इस बार राम माधव की चर्चा के साथ एक तड़का यह भी लगा है कि अमेरिका में उप राष्ट्रपति का चुनाव जीतने वाली कमला हैरिस से उनके बहुत अच्छे संबंध हैं। कमला हैरिस की मां तमिलनाडु की थीं, इस आधार पर दक्षिण भारत के सारे नेता दावा कर सकते हैं कि उनसे अच्छे संबंध हैं। पर उसका कूटनीति से क्या लेना-देना है। कमला हैरिस के मानवाधिकार और कश्मीर के मामले में जो विचार हैं वह तो सबको पता है। फिर अगर राम माधव के संबंध अच्छे हैं तो क्या उन्होंने कभी कमला हैरिस से इस बारे में बात की थी?
राम माधव का प्रचार शुरू!
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